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  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated October 4, 2023

नीलमघस्तुति एक संस्कृत स्तुति है जो भगवान शिव के नीले रंग के रूप, नीलकंठ, की प्रशंसा करती है। यह स्तुति 10वीं शताब्दी के कवि श्रीधराचार्य द्वारा लिखी गई थी।

नीलमघस्तुति में, श्रीधराचार्य भगवान शिव के नीले रंग की तुलना कई चीजों से करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • अंधेरे का समुद्र
  • इंद्रधनुष
  • नदी
  • नीला कमल
  • आकाश

श्रीधराचार्य यह भी कहते हैं कि भगवान शिव का नीला रंग उनकी दया और करुणा का प्रतीक है। वे कहते हैं कि भगवान शिव का नीला रंग सभी जीवों को सुरक्षा और आशीर्वाद प्रदान करता है।

नीलमघस्तुति एक सुंदर और भावपूर्ण स्तुति है जो भगवान शिव के नीले रंग की प्रशंसा करती है। यह स्तुति भगवान शिव के भक्तों के लिए एक लोकप्रिय प्रार्थना है।

नीलमघस्तुति का एक अनुवाद इस प्रकार है:

ओ नीले बादल, अंधेरे का समुद्र, इंद्रधनुष की तरह रंगीन, नदी की तरह बहते हुए, नीले कमल की तरह सुंदर, आकाश की तरह विशाल, आप भगवान शिव के नीले रूप का प्रतीक हैं, जो दया और करुणा के सागर हैं।

आप सभी जीवों को सुरक्षा और आशीर्वाद प्रदान करते हैं, और आप सभी को मुक्ति की राह दिखाते हैं।

हम आपकी स्तुति करते हैं, ओ नीले बादल, और आपके आशीर्वाद की कामना करते हैं।


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