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- Create Date October 25, 2023
- Last Updated October 25, 2023
नारायणस्तुति, जिसे हिंदी में "नारायण की स्तुति" भी कहा जाता है, एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की स्तुति में रचित है। यह स्तोत्र 108 श्लोकों में विष्णु के विभिन्न नामों और गुणों का वर्णन करता है।
नारायणस्तुति की रचना 10वीं शताब्दी में हुई थी। इसका रचनाकार अज्ञात है, लेकिन यह माना जाता है कि यह स्तोत्र एक वैष्णव भक्त ने रचा था।
नारायणस्तुति एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जो विष्णु की भक्ति को बढ़ावा देता है। यह स्तोत्र भक्तों को विष्णु के प्रति प्रेम और श्रद्धा विकसित करने में मदद करता है।
नारायणस्तुति के कुछ प्रमुख विषय निम्नलिखित हैं:
- विष्णु की विशिष्टता: स्तोत्र विष्णु को एक विशिष्ट व्यक्ति के रूप में चित्रित करता है जो ब्रह्मांड का रक्षक और पालनहार है।
- विष्णु की भक्ति: स्तोत्र विष्णु की भक्ति को बढ़ावा देता है। यह स्तोत्र भक्तों को विष्णु के प्रति प्रेम और श्रद्धा विकसित करने में मदद करता है।
- विष्णु का प्रभाव: स्तोत्र विष्णु के जीवन और कार्यों के प्रभाव को दर्शाता है।
नारायणस्तुति एक शक्तिशाली धार्मिक पाठ है जो भक्तों को विष्णु के प्रति प्रेम और श्रद्धा विकसित करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र वैष्णव भक्तों के बीच लोकप्रिय है और इसे अक्सर भक्ति अनुष्ठानों में गाया जाता है।
नारायणस्तुति के कुछ प्रसिद्ध श्लोक निम्नलिखित हैं:
- श्लोक 1:
नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम्। देवीं सरस्वतीं व्यासं ऋषींन्वन्देऽहम्।।
अनुवाद:
मैं भगवान नारायण, मनुष्यों में श्रेष्ठ नरेश, देवी सरस्वती और ऋषियों को नमस्कार करता हूं।
नारायणस्तुतिः Narayanastuti
- श्लोक 2:
विष्णो हरि हरे कृष्णा गोविन्द देवकीनंदन। नमो विष्णवे नमः कृष्णाय नमः गोविन्दाय।।
अनुवाद:
मैं भगवान विष्णु, हरि, हरे कृष्णा, गोविंद, देवकीनंदन को नमस्कार करता हूं। मैं भगवान विष्णु, कृष्ण और गोविंद को नमस्कार करता हूं।
- श्लोक 3:
विष्णो सर्वलोकनाथाय सर्वदेवेश्वराय च। सर्वजनहिताय नमः सर्वलोकपालाय च।।
अनुवाद:
मैं भगवान विष्णु को, जो सभी लोकों के नाथ हैं, सभी देवताओं के स्वामी हैं, और सभी लोगों के लिए कल्याणकारी हैं, नमस्कार करता हूं। मैं भगवान विष्णु को, जो सभी लोकों के पालक हैं, नमस्कार करता हूं।
नारायणस्तुति एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जो विष्णु की भक्ति को बढ़ावा देता है। यह स्तोत्र भक्तों को विष्णु के प्रति प्रेम और श्रद्धा विकसित करने में मदद करता है।
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