• Version
  • Download 783
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 6, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

दुर्गास्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो हिन्दू देवी दुर्गा की स्तुति में लिखा गया है। यह मार्कण्डेय पुराण के आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होने वाले दुर्गा पूजा के समय पढ़ा जाता है। दुर्गास्तोत्रम् में 13 श्लोक हैं, जिनमें देवी दुर्गा की शक्तियों, गुणों और उनके कार्यों का वर्णन किया गया है।

दुर्गास्तोत्रम् के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  1. स्तोत्र की शुरुआत में, देवी दुर्गा को सृष्टि की रचना करने वाली और सभी प्राणियों की रक्षा करने वाली के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें "ब्रह्माण्डस्य सृष्टिस्थितिसंहारकारिणी" (ब्रह्माण्ड की रचना, स्थिति और संहार करने वाली) और "सर्वभूतानाम् ईश्वरी" (सभी प्राणियों की ईश्वरी) कहा गया है।
  2. देवी दुर्गा को सभी दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें "दुर्गे दुर्गम कान्ते नमस्ते" (हे दुर्गा, आप दुर्गम कांत हैं, आपको नमस्कार) और "दुष्टनाशनं त्वं जयन्ती" (आप दुष्टों का नाश करने वाली हैं, आप जयन्ती हैं) कहा गया है।
  3. देवी दुर्गा को सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें "सर्वशक्तिमते चैते च" (आप सर्वशक्तिमान हैं, आप चैते भी हैं) और "सर्वव्यापिनि देवि नमस्ते" (आप सर्वव्यापी हैं, आपको नमस्कार) कहा गया है।
  4. देवी दुर्गा को ज्ञान और बुद्धि की देवी भी कहा गया है। उन्हें "ज्ञानचक्षुषे सर्वज्ञे" (आप ज्ञान की आंख हैं, आप सर्वज्ञ हैं) और "बुद्धिरूपे नमोऽस्तु ते" (आप बुद्धि का रूप हैं, आपको नमस्कार) कहा गया है।
  5. स्तोत्र के अंत में, भक्त देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें जीवन में सभी बाधाओं को दूर करने और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करें।

दुर्गास्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *