• Version
  • Download 273
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 6, 2023
  • Last Updated October 6, 2023

दुर्गासूक्तम्   एक संस्कृत स्तोत्र है, जो हिन्दू देवी दुर्गा की प्रशंसा में लिखा गया है। यह तैत्तिरीय आरण्यक के चतुर्थ प्रपाठक के दसवें अनुवाक में पाया जाता है। दुर्गासूक्तम् में सात श्लोक हैं, जिनमें दुर्गा देवी की शक्तियों, गुणों और उनके कार्यों का वर्णन किया गया है।

दुर्गासूक्तम् के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  1. स्तोत्र की शुरुआत में, देवी दुर्गा को अग्नि की देवी के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें "अग्निवर्णां" (अग्नि के समान रंग वाली) और "तपसा ज्वलन्तीं" (तपस्या से चमकने वाली) कहा गया है।
  2. देवी दुर्गा को सभी दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें "दुर्गा" (दुर्गों को हटाने वाली) और "क्षामद्देवो अति दुरितात्यग्निः" (सभी दुष्टों को नष्ट करने वाली देवी) कहा गया है।
  3. देवी दुर्गा को सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें "विश्वानि नो दुर्गहा जातवेदः सिन्धुन्न नावा दुरिताऽतिपर्षि" (हे जातवेदस, आप सभी दुर्गों को पार करवाने वाली हैं, जैसे समुद्र को पार कराने वाली नाव) कहा गया है।
  4. देवी दुर्गा को ज्ञान और बुद्धि की देवी भी कहा गया है। उन्हें "अत्रिवन्मनसा गृणानोऽस्माकं बोध्यविता तनूनाम्" (आप हमें अत्रि की तरह ज्ञान और बुद्धि प्रदान करती हैं) कहा गया है।
  5. स्तोत्र के अंत में, भक्त देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें जीवन में सभी बाधाओं को दूर करने और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करें।

दुर्गासूक्तम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *