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  • Create Date November 25, 2023
  • Last Updated August 23, 2024

दशश्लोकीस्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 12वीं शताब्दी के भक्तिकाल के कवि नंददास ने की थी। यह स्तोत्र शिव की महिमा का वर्णन करता है।

स्तोत्र के अनुसार, शिव सभी देवताओं के स्वामी हैं। वे ब्रह्मांड के सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं। वे सभी पापों को दूर करने वाले हैं।

स्तोत्र के 10 श्लोक हैं, और इसका अर्थ इस प्रकार है:

dashashlokeestuti saambastutih ya saambadashakam

श्लोक:

1. नमस्ते रुद्राय सर्वशक्तिमते सर्वदेवेशाय सर्वभूतेशाय नमस्ते त्रिलोचनाय त्रिशूलधारिणे नमस्ते गौरीशंकर नमस्ते।

अर्थ:

हे रुद्र, हे सर्वशक्तिमान, हे सर्वदेवों के स्वामी, हे सभी प्राणियों के स्वामी, हे तीन नेत्रों वाले, हे त्रिशूलधारी, हे गौरी के पति, हे शिव, आपको नमस्कार है।

2. नमस्ते भवभूते नमस्ते शंभवे

नमस्ते शंकरे नमस्ते महादेवे नमस्ते पार्वतीपतये नमस्ते नमस्ते त्रिपुरांतकारी नमस्ते।

अर्थ:

हे भवभूत, हे शंभु, हे शंकर, हे महादेव, हे पार्वती के पति, आपको नमस्कार है, हे त्रिपुरांतकारी, आपको नमस्कार है।

3. नमस्ते नीलकंठाय नमस्ते पिनाकिने

नमस्ते त्रिपुरारी नमस्ते पशुपतिने नमस्ते भस्मावृताय नमस्ते भिक्षावने नमस्ते सुरवर नमस्ते।

अर्थ:

हे नीलकंठ, हे पिनाकधारी, हे त्रिपुरारी, हे पशुपति, हे भस्म से लिपटे हुए, हे भिक्षावृत्त, हे देवताओं के स्वामी, आपको नमस्कार है।

4. नमस्ते लिंगरूपाय नमस्ते ललाटे

नमस्ते केशव नमस्ते विष्णो नमस्ते ब्रह्मणे नमस्ते सर्वदेवेभ्यः नमस्ते नमस्ते नमस्ते।

अर्थ:

हे लिंगरूप, हे ललाटधारी, हे केशव, हे विष्णु, हे ब्रह्मा, हे सभी देवताओं, आपको नमस्कार है, आपको नमस्कार है, आपको नमस्कार है।

5. नमस्ते नमस्ते नमस्ते

नमस्ते नमस्ते नमस्ते।

अर्थ:

आपको नमस्कार है, आपको नमस्कार है, आपको नमस्कार है, आपको नमस्कार है, आपको नमस्कार है, आपको नमस्कार है।

दशश्लोकीस्तुति एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जो शिव की महिमा का अनुभव कराता है। यह स्तोत्र हमें यह भी सिखाता है कि शिव की भक्ति करने से हमें सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

दशश्लोकीस्तुति को सांबस्तुति या सांबदाशक भी कहा जाता है। सांब एक अन्य नाम है शिव का। सांबस्तुति का अर्थ है शिव की स्तुतिसांबदाशक का अर्थ है शिव को प्रसन्न करने वाला

दशश्लोकीस्तुति को संस्कृत साहित्य में एक महत्वपूर्ण कृति माना जाता है। यह स्तोत्र शिव भक्ति के लिए एक प्रेरणा है।


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