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- Create Date November 16, 2023
- Last Updated November 16, 2023
Dakshapatnikrita Shivastuti:
दक्ष्यपत्नीकृत शिवस्तवनम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र दक्ष की पत्नी सती द्वारा रचित है, जिन्हें भगवान शिव की पत्नी पार्वती के रूप में भी जाना जाता है।
स्तोत्र की शुरुआत में, सती भगवान शिव की महिमा का वर्णन करती हैं। वे बताती हैं कि कैसे शिव सर्वशक्तिमान हैं, और कैसे वे ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं।
स्तोत्र में, सती शिव के विभिन्न रूपों की भी स्तुति करती हैं। वे बताती हैं कि कैसे शिव भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं, और कैसे वे उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त कर सकते हैं।
स्तोत्र की समाप्ति में, सती शिव से प्रार्थना करती हैं कि वे उसे अपने साथ स्वर्ग में ले जाएं।
दक्ष्यपत्नीकृत शिवस्तवनम् एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो हिंदू धर्म में भगवान शिव की भक्ति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
स्तोत्र के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
Dakshapatnikrita Shivastuti:
- भगवान शिव सर्वशक्तिमान हैं।
- वे ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं।
- वे भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं।
- वे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त कर सकते हैं।
दक्ष्यपत्नीकृत शिवस्तवनम् का पाठ करने से आपको निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
- आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सकती है।
- आपको मानसिक शांति और सुख प्राप्त हो सकता है।
- आपको सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
दक्ष्यपत्नीकृत शिवस्तवनम् का पाठ करने के लिए, आप एक साफ और शांत जगह पर बैठ सकते हैं। अपने सामने एक दीपक जलाकर भगवान शिव की तस्वीर या मूर्ति रख सकते हैं। फिर, स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, प्रत्येक पंक्ति के अर्थ को समझने का प्रयास कर सकते हैं। स्तोत्र का पाठ कम से कम 108 बार करना चाहिए।
दक्ष्यपत्नीकृत शिवस्तवनम् का हिंदी अनुवाद निम्नलिखित है:
हे भगवान शिव,
आप सर्वशक्तिमान हैं।आप ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं।आप भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं।आप सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त कर सकते हैं।
मैं आपकी भक्ति में लीन हूं।मैं आपकी कृपा प्राप्त करना चाहता हूं।मुझे मानसिक शांति और सुख प्रदान करें।मुझे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान करें।
हे भगवान शिव,
मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे अपने साथ स्वर्ग में ले जाएं।
मैं आपका ऋणी रहूंगा।
श्री शिवाय नमः
कृष्णस्तोत्रम्दानव krshnastotramadanav
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