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  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated October 4, 2023

तुलसी कवच 2 एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की पत्नी, देवी तुलसी की स्तुति करता है। यह स्तोत्र तुलसी के पौधे की आराधना करता है और उसे आध्यात्मिक और भौतिक लाभों का स्रोत मानता है।

तुलसी कवच 2 में 108 श्लोक हैं। स्तोत्र की शुरुआत में, साधक देवी तुलसी की स्तुति करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करता है। देवी तुलसी उनकी प्रार्थना सुनती हैं और उन्हें अपनी कृपा प्रदान करती हैं। स्तोत्र में, देवी तुलसी के विभिन्न रूपों का वर्णन है जो साधक को आध्यात्मिक उन्नति में मदद करते हैं।

तुलसी कवच 2 का पाठ करने से साधक को कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र साधक को आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है, उसे लंबी और सुखी जीवन देता है, और उसे सभी प्रकार के संकटों से बचाता है।

तुलसी कवच 2 का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठें।
  2. फिर, एक दीपक जलाएं और देवी तुलसी की पूजा करें।
  3. अब, तुलसी कवच 2 का पाठ करें।
  4. स्तोत्र का पाठ करते समय, देवी तुलसी पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. स्तोत्र का पाठ करने के बाद, देवी तुलसी से आशीर्वाद मांगें।

तुलसी कवच 2 का पाठ करने से पहले, किसी योग्य गुरु से निर्देश लेना उचित है।

तुलसी कवच 2 के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • आध्यात्मिक सिद्धि
  • लंबी और सुखी जीवन
  • सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षा
  • धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति
  • सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति
  • ऋणों से मुक्ति
  • भय से मुक्ति
  • मनोकामनाओं की पूर्ति

तुलसी कवच 2 एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो साधक को देवी तुलसी की रक्षा और आशीर्वाद प्रदान करता है।

तुलसी कवच 2 के कुछ संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं:

श्लोक 1

नमस्ते तुलसीदेवी सर्वसौभाग्यदायिनी। क्षीरसमुद्रभवे देवी नारायणी नमोस्तु ते।

अनुवाद

हे तुलसी देवी, जो सभी सौभाग्य प्रदान करती हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे नारायणी देवी, जो क्षीरसागर से उत्पन्न हुई हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूं।

श्लोक 2

पापनाशिनी देवी त्वं सर्वरोगनिवारिणी। त्वं मन्त्रराजो देवी त्वं ज्ञानरूपिणी नमोस्तु ते।

अनुवाद

हे देवी, तुम पापों को नष्ट करने वाली हो, तुम सभी रोगों को दूर करने वाली हो। हे देवी, तुम मन्त्रराज हो, तुम ज्ञान की रूप हो, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं।

श्लोक 3

त्वं वाक्स्वरूपिणी देवी त्वं सृष्टिरूपिणी। त्वं भावनास्वरूपिणी त्वं शक्तिरूपिणी नमोस्तु ते।

अनुवाद

हे देवी, तुम वाणी की रूप हो, तुम सृष्टि की रूप हो। हे देवी, तुम भावना की रूप हो, तुम शक्ति की रूप हो, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं।

तुलसी कवच 2 एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो साधक को देवी तुलसी की रक्षा और आशीर्वाद प्रदान करता है।


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