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- Create Date October 25, 2023
- Last Updated October 25, 2023
जन्मवैफ़ल्यनिर्मूपनष्टक एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में एक विशेष विषय का वर्णन है।
स्तोत्र का पहला श्लोक भगवान शिव की दया और करुणा की प्रशंसा करता है:
जय शिवेंद्र, जय त्रिपुरारी, मम जन्मवैफ़ल्यं हरि॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे शिवेंद्र, हे त्रिपुरारी, मेरे जन्म के दोषों को दूर करो।
स्तोत्र का दूसरा श्लोक भगवान शिव के शक्तिशाली रूप की प्रशंसा करता है:
त्रिशूलधारी, रुद्रावतार, मम जन्मवैफ़ल्यं हरि॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे त्रिशूलधारी, हे रुद्रावतार, मेरे जन्म के दोषों को दूर करो।
स्तोत्र का तीसरा श्लोक भगवान शिव के ज्ञान और बुद्धि के लिए प्रार्थना करता है:
ज्ञानदयालु, ज्ञाननिधि, मम जन्मवैफ़ल्यं हरि॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे ज्ञानदयालु, हे ज्ञाननिधि, मेरे जन्म के दोषों को दूर करो।
स्तोत्र का चौथा श्लोक भगवान शिव के भक्तों के लिए आशीर्वाद मांगता है:
भक्तवत्सल, भक्तरक्षक, मम जन्मवैफ़ल्यं हरि॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे भक्तवत्सल, हे भक्तरक्षक, मेरे जन्म के दोषों को दूर करो।
स्तोत्र का पांचवां श्लोक भगवान शिव से प्रार्थना करता है कि वे भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करें:
सर्वदुःखहर, सर्वस्वदाता, मम जन्मवैफ़ल्यं हरि॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे सर्वदुःखहर, हे सर्वस्वदाता, मेरे जन्म के दोषों को दूर करो।
स्तोत्र का छठा श्लोक भगवान शिव से प्रार्थना करता है कि वे भक्तों को मोक्ष प्रदान करें:
मोक्षदायक, सुखसागर, मम जन्मवैफ़ल्यं हरि॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे मोक्षदायक, हे सुखसागर, मेरे जन्म के दोषों को दूर करो।
स्तोत्र का सातवां श्लोक भगवान शिव से प्रार्थना करता है कि वे भक्तों को सभी प्रकार के सुख प्रदान करें:
सर्वसुखदायक, सर्वकारण, मम जन्मवैफ़ल्यं हरि॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे सर्वसुखदायक, हे सर्वकारण, मेरे जन्म के दोषों को दूर करो।
स्तोत्र का आठवां श्लोक भगवान शिव से प्रार्थना करता है कि वे भक्तों को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त करें:
सर्वबाधाहर, सर्वशक्तिमान, मम जन्मवैफ़ल्यं हरि॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे सर्वबाधाहर, हे सर्वशक्तिमान, मेरे जन्म के दोषों को दूर करो।
जन्मवैफ़ल्यनिर्मूपनष्टक एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के प्रति गहरा प्रेम और भक्ति विकसित करने में मदद करता है।
जन्मवैफ़ल्यनिर्मूपनष्टक के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:
- यह स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति करता है।
- यह स्तोत्र आठ श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में एक विशेष विषय का वर्णन है।
- यह स्तोत्र भगवान शिव की दया, शक्ति, ज्ञान, भक्ति, मोक्ष, सुख और शक्ति की प्रशंसा करता है
जन्मवैफल्यनिरूपणाष्टकम् birthvaifalyanirupanashtakam
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