• Version
  • Download 292
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 30, 2023
  • Last Updated October 30, 2023

गोवर्धनधारणम् (रूपगोस्वामीविरचितम्) एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के वैष्णव संत और कवि रूपगोस्वामी द्वारा रचित था।

स्तोत्र के 10 श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला के एक विशेष पहलू की स्तुति की गई है।

प्रथम श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था, और तुमने इसे 7 दिन तक उठाए रखा था। तुमने अपनी दिव्य शक्ति से दुष्ट इंद्र को पराजित किया था, और तुमने गोकुलवासियों की रक्षा की थी।

द्वितीय श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, तुमने अपने भक्तों की रक्षा की थी। तुमने दिखाया कि तुम सर्वशक्तिमान हो, और तुम अपने भक्तों के लिए कुछ भी कर सकते हो।

तृतीय श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, तुमने प्रकृति की शक्ति को भी पराजित किया था। तुमने दिखाया कि तुम प्रकृति के नियमों से ऊपर हो, और तुम अपने भक्तों के लिए कुछ भी कर सकते हो।

चतुर्थ श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, तुमने अपने भक्तों को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया था। तुमने दिखाया कि भक्ति ही सबसे शक्तिशाली शक्ति है, और यह सब कुछ हासिल कर सकती है।

पंचम श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, तुमने अपने भक्तों के लिए एक मजबूत आश्रय प्रदान किया था। तुमने दिखाया कि तुम हमेशा अपने भक्तों के साथ हो, और तुम उन्हें किसी भी संकट से बचा सकते हो।

षष्ठम श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, तुमने अपने भक्तों के लिए एक आदर्श स्थापित किया था। तुमने दिखाया कि भक्तों को हमेशा अपने ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए, और ईश्वर हमेशा उनके साथ रहेगा।

सप्तम श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, तुमने अपने भक्तों के लिए एक प्रेरणा प्रदान की है। तुमने दिखाया कि भक्ति ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है, और यह हमें सभी सुखों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है।

अष्टम श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, तुमने अपने भक्तों के लिए एक आशीर्वाद दिया है। तुमने दिखाया कि तुम हमेशा अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हो, और तुम उन्हें हमेशा खुश रखते हो।

नवम श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, तुमने अपने भक्तों के लिए एक वरदान दिया है। तुमने दिखाया कि तुम हमेशा अपने भक्तों के साथ हो, और तुम उन्हें हमेशा प्यार करते हो।

दशम श्लोक

हे कृष्ण, तुमने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, तुमने अपने भक्तों के लिए एक आशा दी है। तुमने दिखाया कि भक्ति ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है, और यह हमें सभी सुखों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है।

गोवर्धनधारणम् एक लोकप्रिय स्तोत्र है जो अक्सर कृष्ण भक्तों द्वारा पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र कृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना को व्यक्त करता है।

स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण पहलू

  • स्तोत्र कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला की स्तुति करता है।
  • स्तोत्र कृष्ण की शक्ति और दया की महिमा का बखान करता है।
  • स्तोत्र कृष्ण की भक्ति के महत्व पर जोर देता है।

स्तोत्र का महत्व

गोवर्धनधारणम् एक शक्तिशा

Govardhanodharanam (Rupagoswamivirachitam)


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *