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  • Create Date November 25, 2023
  • Last Updated November 25, 2023

गोपीगीता एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण और उनकी गोपियों के बीच की प्रेमालाप का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 12 अष्टपदीओं में विभाजित है, प्रत्येक अष्टपदी एक गोपी की कृष्ण के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति है।

गोपीगीता की रचना 13वीं शताब्दी में भक्तिकाल के कवि विद्यापति ने की थी। विद्यापति एक बिहारी कवि थे, और उनकी रचनाओं में बिहारी संस्कृति की झलक मिलती है।

गोपीगीता में गोपियाँ कृष्ण के प्रेम में पागल दिखाई गई हैं। वे कृष्ण की सुंदरता, उनके प्रेम और उनके गुणों की प्रशंसा करती हैं। वे कृष्ण से अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करने के लिए विभिन्न तरीकों का प्रयोग करती हैं, जैसे कि गाना, नृत्य करना, और कृष्ण से बात करना।

गोपीगीता कृष्ण भक्ति का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र कृष्ण भक्तों को प्रेम की मधुरता, विरह का दुख और मिलन का आनंद का अनुभव कराता है।

गोपीगीता की कुछ प्रसिद्ध अष्टपदीयां निम्नलिखित हैं:

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  • नंदलाल गोपाल: यह अष्टपदी एक गोपी के द्वारा कृष्ण की सुंदरता की प्रशंसा करती है।
  • गोपाल मोहन: यह अष्टपदी एक गोपी के द्वारा कृष्ण के प्रेम की अभिव्यक्ति करती है।
  • कृष्ण मधुर: यह अष्टपदी एक गोपी के द्वारा कृष्ण के गुणों की प्रशंसा करती है।

गोपीगीता कृष्ण भक्ति के क्षेत्र में एक अमूल्य धरोहर है। यह स्तोत्र कृष्ण भक्तों को प्रेम की मधुरता, विरह का दुख और मिलन का आनंद का अनुभव कराता है।


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