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  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated October 4, 2023

गोपालाक्षयकवचम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने और उनसे सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं और उन्हें प्रेम, करुणा और दया के देवता माना जाता है। गोपालाक्षयकवचम् का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त हो सकती है और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिल सकती है।

गोपालाक्षयकवचम् में 100 श्लोक हैं। स्तोत्र की शुरुआत में, साधक भगवान श्रीकृष्ण से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना करता है। भगवान श्रीकृष्ण उनकी प्रार्थना सुनते हैं और उन्हें अपनी रक्षा प्रदान करते हैं। स्तोत्र में, भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों का वर्णन है जो साधक की रक्षा करते हैं।

गोपालाक्षयकवचम् का पाठ करने से साधक को कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र साधक को सभी प्रकार के संकटों से बचाता है, उसे आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है, और उसे लंबी और सुखी जीवन देता है।

गोपालाक्षयकवचम् का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठें।
  2. फिर, एक दीपक जलाएं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें।
  3. अब, गोपालाक्षयकवचम् का पाठ करें।
  4. स्तोत्र का पाठ करते समय, भगवान श्रीकृष्ण पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. स्तोत्र का पाठ करने के बाद, भगवान श्रीकृष्ण से आशीर्वाद मांगें।

गोपालाक्षयकवचम् का पाठ करने से पहले, किसी योग्य गुरु से निर्देश लेना उचित है।

गोपालाक्षयकवचम् के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षा
  • आध्यात्मिक सिद्धि
  • लंबी और सुखी जीवन
  • धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति
  • सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति
  • ऋणों से मुक्ति
  • भय से मुक्ति
  • मनोकामनाओं की पूर्ति

गोपालाक्षयकवचम् का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करता है।

गोपालाक्षयकवचम् के कुछ संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं:

ॐ अस्य श्रीगोपालाक्षयकवचस्य श्रीकृष्ण ऋषिः।

अनुष्टुप्छन्दः।

श्रीकृष्णदेवता।

सर्वरोगनिवारणार्थ जपे विनियोगः।

ध्यानम्

ध्यायेद् गोपालं नीलवर्णं चतुर्भुजं शङ्खचक्रगदाधरम्।

पीतवस्त्रं सुवर्णकान्तं रमापतिम्।

इस स्तोत्र का अर्थ है:

"मैं श्रीगोपालाक्षयकवचं स्तोत्र को प्रणाम करता हूं।

मैं श्रीकृष्ण को ऋषि कहता हूं।

मैं अनुष्टुप छंद को विनियोग कहता हूं।

मैं श्रीकृष्ण को देवता कहता हूं।

मैं सर्व रोग निवारण के लिए इस स्तोत्र का पाठ करता हूं।"

ध्यान

"मैं नीले रंग के चार भुजाओं वाले शंख, चक्र और गदा धारण करने वाले पीले वस्त्र पहने सोने के रंग वाले भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करता हूं।"

गोपालाक्षयकवचम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो साधक को भगवान श्रीकृष्ण की रक्षा प्रदान करता है।


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