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  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated October 4, 2023

गुरुकवचन कण्ठमालिनितन्त्र एक संस्कृत ग्रन्थ है जो गुरु-शिष्य परम्परा के बारे में बताता है। यह ग्रन्थ 13वीं शताब्दी के वैदिक विद्वान, ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित है।

गुरुकवचन कण्ठमालिनितन्त्र में, ऋषि वशिष्ठ गुरु-शिष्य परम्परा के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि गुरु ही शिष्य को सही मार्ग पर ले जा सकते हैं और उसे ज्ञान और शक्ति प्रदान कर सकते हैं। गुरु के बिना, शिष्य का जीवन व्यर्थ है।

ग्रन्थ में, ऋषि वशिष्ठ गुरु-शिष्य संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा करते हैं। वे कहते हैं कि गुरु को शिष्य के प्रति दयालु और करुणावान होना चाहिए। शिष्य को भी गुरु का सम्मान और आदर करना चाहिए।

गुरुकवचन कण्ठमालिनितन्त्र एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है जो गुरु-शिष्य परम्परा के बारे में गहन जानकारी प्रदान करता है। यह ग्रन्थ सभी उन लोगों के लिए उपयोगी है जो आध्यात्मिक मार्ग पर चल रहे हैं।

गुरुकवचन कण्ठमालिनितन्त्र के कुछ महत्वपूर्ण विषयों में शामिल हैं:

  • गुरु-शिष्य परम्परा का महत्व
  • गुरु के गुण
  • शिष्य के गुण
  • गुरु-शिष्य संबंधों के विभिन्न पहलू

गुरुकवचन कण्ठमालिनितन्त्र एक शक्तिशाली ग्रन्थ है जो साधक को आध्यात्मिक उन्नति में मदद कर सकता है।

यहाँ गुरुकवचन कण्ठमालिनितन्त्र के कुछ प्रमुख श्लोक दिए गए हैं:

श्लोक 1

गुरुर ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

अनुवाद

गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर हैं। गुरु ही परब्रह्म हैं। इसलिए, मैं गुरु को प्रणाम करता हूँ।

श्लोक 2

गुरुरहितं नैव विद्या नैव मुक्तिर्नैव गतिः। गुरुरहितं जगदुत्सर्पमृगयावत्।।

अनुवाद

गुरु के बिना, न तो ज्ञान प्राप्त होता है, न मोक्ष और न ही कोई लक्ष्य प्राप्त होता है। गुरु के बिना, संसार एक सर्प के शिकार की तरह है।

श्लोक 3

गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः। गुरुर्ज्ञानगर्भो देवो लोकत्रयगुरुः। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

अनुवाद

गुरु ही परब्रह्म हैं। इसलिए, मैं गुरु को प्रणाम करता हूँ। गुरु ज्ञान के गर्भ हैं, वे तीनों लोकों के गुरु हैं। गुरु ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर हैं। इसलिए, मैं गुरु को प्रणाम करता हूँ।

गुरुकवचन कण्ठमालिनितन्त्र एक शक्तिशाली ग्रन्थ है जो साधक को आध्यात्मिक उन्नति में मदद कर सकता है।


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