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- Create Date October 10, 2023
- Last Updated October 10, 2023
गायत्री कवचम् 4 एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी गायत्री की रक्षा प्रदान करने के लिए कहा जाता है। यह स्तोत्र 4 श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक में देवी गायत्री की स्तुति की गई है।
गायत्री कवचम् 4 की रचना किसने की, यह निश्चित रूप से नहीं पता है, लेकिन माना जाता है कि यह एक प्राचीन स्तोत्र है। यह स्तोत्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और इसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों में पढ़ा जाता है।
गायत्री कवचम् 4 के कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:
पहला श्लोक:
ॐ नमो गायत्र्यै महात्म्यै
ब्रह्माविष्णुरुद्रात्मक्यै
सर्वदेवमयी देव्यै
सर्वशक्तिस्वरूपिण्यै नमः
अर्थ:
"हे गायत्री! हे महात्म्यमयी! हे ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के रूप वाली! हे सभी देवताओं की अधिष्ठात्री! हे सर्वशक्तिस्वरूपिणी! आपको मेरा नमस्कार है।"
दूसरा श्लोक:
ॐ गायत्र्यै सर्वदेवानां
मूलं त्वं त्रिगुणात्मके
त्वं सर्वशक्तिस्वरूपिणी
सर्वपापहरिणी नमः
अर्थ:
"हे गायत्री! तुम सभी देवताओं की मूल हो, तुम त्रिगुणात्मक हो। तुम सर्वशक्तिस्वरूपिणी हो, और तुम सभी पापों को दूर करती हो।"
तीसरा श्लोक:
ॐ गायत्र्यै सर्वविद्यानां
मूलं त्वं सर्वसिद्धिदात्री
त्वं सर्वकामप्रदायिनी
सर्वरोगहरिणी नमः
अर्थ:
"हे गायत्री! तुम सभी विद्याओं की मूल हो, तुम सभी सिद्धियों को देने वाली हो। तुम सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली हो, और तुम सभी रोगों को दूर करती हो।"
चौथा श्लोक:
ॐ गायत्र्यै सर्वदुष्टानां
मूलं त्वं सर्वदुःखनाशिनी
त्वं सर्वभयहरिणी
सर्वविपत्तिहरिणी नमः
अर्थ:
"हे गायत्री! तुम सभी दुष्टों की मूल हो, तुम सभी दुःखों को दूर करने वाली हो। तुम सभी भयों को दूर करने वाली हो, और तुम सभी विपत्तियों को दूर करने वाली हो।"
गायत्री कवचम् 4 एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवी गायत्री की आराधना करने का एक प्रभावी तरीका है। यह स्तोत्र भक्तों को सुरक्षा, ज्ञान, और आध्यात्मिकता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
गायत्री कवचम् 4 का पाठ करने से पहले, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप इसे सही तरीके से कर रहे हैं। आप किसी योग्य गुरु से इसकी सही विधि सीख सकते हैं।
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