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  • Create Date November 25, 2023
  • Last Updated November 25, 2023

गर्भगताकृष्णस्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है जो गर्भ में स्थित भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 24 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में आठ चरणों होते हैं।

गर्भगताकृष्णस्तुति की रचना 14वीं शताब्दी में भक्तिकाल के कवि सूरदास ने की थी। सूरदास एक अंध कवि थे, लेकिन उनकी रचनाओं में कृष्ण की सुंदरता और प्रेम का अद्भुत चित्रण मिलता है।

गर्भगताकृष्णस्तुति में सूरदास कृष्ण की गर्भ में स्थित बाल रूप की स्तुति करते हैं। वे कृष्ण के बाल रूप की सुंदरता, उनके प्रेम और उनके गुणों की प्रशंसा करते हैं। वे कृष्ण को अपने आराध्य देव के रूप में स्वीकार करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

गर्भगताकृष्णस्तुति कृष्ण भक्ति का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र कृष्ण भक्तों को कृष्ण के बाल रूप की सुंदरता और प्रेम का अनुभव कराता है।

गर्भगताकृष्णस्तुति की कुछ प्रसिद्ध पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

Garbhgatakrishnastutih

  • कृष्ण गोपाल श्याम सुंदर, मुरलीधर नन्दलाल।
  • कन्हैया कान्हा श्याम सुंदर, गोकुल बिहारी लाल।
  • कृष्ण कृष्ण मधुर नाम है, मधुरे रस में डूब गया।

गर्भगताकृष्णस्तुति कृष्ण भक्ति के क्षेत्र में एक अमूल्य धरोहर है। यह स्तोत्र कृष्ण भक्तों को कृष्ण के बाल रूप की सुंदरता और प्रेम का अनुभव कराता है।


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