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- Create Date October 4, 2023
- Last Updated October 4, 2023
गङ्गासाम्राज्यकवचं एक संस्कृत स्तोत्र है जो गङ्गा देवी को प्रसन्न करने और उनसे सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। गङ्गा देवी भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक हैं और उन्हें मोक्ष देने वाली देवी माना जाता है। गङ्गासाम्राज्यकवचं का पाठ करने से गङ्गा देवी की कृपा प्राप्त हो सकती है और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिल सकती है।
गङ्गासाम्राज्यकवचं में 32 श्लोक हैं। स्तोत्र की शुरुआत में, साधक गङ्गा देवी से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना करता है। गङ्गा देवी उनकी प्रार्थना सुनती हैं और उन्हें अपनी रक्षा प्रदान करती हैं। स्तोत्र में, गङ्गा देवी के विभिन्न रूपों का वर्णन है जो साधक की रक्षा करते हैं।
गङ्गासाम्राज्यकवचं का पाठ करने से साधक को कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र साधक को सभी प्रकार के संकटों से बचाता है, उसे आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है, और उसे लंबी और सुखी जीवन देता है।
गङ्गासाम्राज्यकवचं का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- सबसे पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठें।
- फिर, एक दीपक जलाएं और गङ्गा देवी की पूजा करें।
- अब, गङ्गासाम्राज्यकवचं का पाठ करें।
- स्तोत्र का पाठ करते समय, गङ्गा देवी पर ध्यान केंद्रित करें।
- स्तोत्र का पाठ करने के बाद, गङ्गा देवी से आशीर्वाद मांगें।
गङ्गासाम्राज्यकवचं का पाठ करने से पहले, किसी योग्य गुरु से निर्देश लेना उचित है।
गङ्गासाम्राज्यकवचं के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
- सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षा
- आध्यात्मिक सिद्धि
- लंबी और सुखी जीवन
- धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति
- सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति
- ऋणों से मुक्ति
- भय से मुक्ति
- मनोकामनाओं की पूर्ति
गङ्गासाम्राज्यकवचं का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह गङ्गा देवी की कृपा प्राप्त करता है।
गङ्गासाम्राज्यकवचं के कुछ संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं:
ॐ अस्य श्रीगङ्गासाम्राज्यकवचस्य भगवती गङ्गा देवता।
अनुष्टुप्छन्दः।
श्रीगङ्गामाता विनियोगः।
ध्यानम्
ध्यायेद् गङ्गां श्वेताम्भरां शशिशेखरां त्रिनेत्रां चतुर्भुजाम।
कमण्डलुं त्रिशूलं च कमलं वरदां तथा।
गङ्गां गङ्गां विचिन्तयेद्।
इस स्तोत्र का अर्थ है:
"मैं गङ्गा देवी को प्रणाम करता हूं।
मैं गङ्गा देवी को श्वेताम्भरा कहता हूं।
मैं गङ्गा देवी को शशिशेखरा कहता हूं।
मैं गङ्गा देवी को त्रिनेत्रा कहता हूं।
मैं गङ्गा देवी को चतुर्भुजा कहता हूं।
मैं गङ्गा देवी को कमण्डलुधारी कहता हूं।
मैं गङ्गा देवी को त्रिशूलधारी कहता हूं।
मैं गङ्गा देवी को कमलधारी कहता हूं।
मैं गङ्गा देवी को वरदायिनी कहता हूं।
मैं गङ्गा देवी को गङ्गा कहता हूं।
मैं गङ्गा देवी को गङ्गा कहता हूं।"
गङ्गासाम्राज्यकवचं एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो साधक को गङ्गा देवी की रक्षा प्रदान करता है।
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