• Version
  • Download 139
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 27, 2023
  • Last Updated October 27, 2023

केशवष्टकम् एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की स्तुति करता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के रूप और गुणों का वर्णन करता है। केशवष्टकम् की रचना श्रीरूप गोस्वामी द्वारा की गई थी।

केशवष्टकम् में आठ श्लोक हैं। प्रत्येक श्लोक में, भक्त भगवान विष्णु की एक अलग विशेषता की स्तुति करते हैं।

प्रथम श्लोक में, भक्त भगवान विष्णु को "पिशङ्गि मणिकस्तनि प्रणतश‍ृङ्गि पिङ्गेक्षणे" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक सुनहरे मुकुट और लाल कान के टुकड़ों के साथ एक सुंदर व्यक्ति हैं।

दूसरे श्लोक में, भक्त भगवान विष्णु को "मृदङ्गमुखि धूमले शवलि हंसि वंशीप्रिये" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक मृदंग बजाते हुए, एक हंस और एक बांसुरी को प्रिय हैं।

तीसरे श्लोक में, भक्त भगवान विष्णु को "घनप्रणयमेदुरान् मधुरनर्मगोष्ठीकला विलासनिलयान् मिलद्विविधवेशविद्योतिनः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे घनघोर प्रेम में डूबे हुए हैं, और उनके गोष्ठी के खेल बहुत ही मधुर और कोमल हैं।

चौथे श्लोक में, भक्त भगवान विष्णु को "श्रमाम्बुकणिकावलीदरविलीढगण्डान्तरं समूढागिरिधातुभिर्लिखितचारुपत्राङ्कुरम्" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके गालों पर थकान के कारण आँसुओं के धारा निकल रही हैं, और उनके गले में पहने हुए हार में पहाड़ों की धातुओं से बनी चार पत्तियों की कलियाँ हैं।

पाँचवें श्लोक में, भक्त भगवान विष्णु को "निबद्धनवतर्णकावलिविलोकनोत्कण्ठया नटत्खुरपुटाञ्चलैरलघुभिर्भुवं भिन्दतीम्" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक नृतक की तरह नाचते हुए, अपने पाँवों के नाखूनों से धरती को खोद रहे हैं।

छठे श्लोक में, भक्त भगवान विष्णु को "पद्माङ्कततिभिर्वरां विरचयन्तमध्वश्रियं चलत्तरलनैचिकीनिचयधूलिधूम्रस्रजम्" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे अपने पैरों के अंगूठों से कमलों की पंखुड़ियों से एक माला बना रहे हैं, जो धूल और धुएं से धूमिल हो गई है।

सातवें श्लोक में, भक्त भगवान विष्णु को "विलासमुरलीकलध्वनिभिरुल्लसन्मानसाः क्षणादखिलवल्लवीः पुलकयन्तमन्तर्गृहे" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके मन में प्रेम की लहरें उठ रही हैं, और उनके घर में सभी गोपियाँ खुशी से मुस्कुरा रही हैं।

आठवें श्लोक में, भक्त भगवान विष्णु को "उपेत्य पथि सुन्दरीततिभिराभिरभ्यर्चितं स्मिताङ्कुरकरम्बितैर्नटदपाङ्गभङ्गीशतैः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि सुंदर गोपियाँ उनके मार्ग पर आकर उन्हें प्रणाम करती हैं, और उनकी मुस्कुराहटों से उनके हाथों में फूलों के गुच्छे झूल रहे हैं।

केशवष्टकम् एक शक्तिशाली भक्तिपूर्ण अभ्यास है जो भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान विष्णु के साथ एक गहरी आध्यात्मिक संबंध विकसित करने में मदद कर सकता है।

केशवष्टकम् के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:

  • यह स्तोत्र भगवान विष्णु के रूप और गुणों की स्तुति करता है।
  • यह स्तोत्र एक शक्तिशाली भक्तिपूर्ण अभ्यास है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को भगवान विष्णु के साथ एक गहरी आध्यात्मिक संबंध विकसित करने में मदद कर सकता

केशवाष्टकम् Keshavashtakam


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *