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  • Create Date October 30, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

कृष्णसहस्रनामस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के 1000 नामों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 12वीं शताब्दी के वैष्णव संत और कवि श्रीपद कृष्णदास द्वारा रचित था।

स्तोत्र के 1000 श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में कृष्ण के एक विशेष नाम की स्तुति की गई है।

Krishnasahasranamastotram

स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण पहलू

  • स्तोत्र कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।
  • स्तोत्र कृष्ण के विभिन्न रूपों और पहलुओं की स्तुति करता है।
  • स्तोत्र कृष्ण के गुणों और विशेषताओं की स्तुति करता है।

स्तोत्र का महत्व

कृष्णसहस्रनामस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो कृष्ण भक्तों को आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ा सकता है। यह स्तोत्र कृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है, और यह भक्तों को कृष्ण के गुणों और विशेषताओं को समझने में मदद कर सकता है।

स्तोत्र के पाठ से लाभ

कृष्णसहस्रनामस्तोत्रम् के पाठ से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:

  • कृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना बढ़ती है।
  • मन को शांति और आनंद मिलता है।
  • जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • मोक्ष प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।

स्तोत्र का पाठ कैसे करें

कृष्णसहस्रनामस्तोत्रम् का पाठ करने के लिए, भक्तों को निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए:

  1. एक स्वच्छ और शांत स्थान चुनें।
  2. एक चौकी पर बैठें और अपने सामने एक चित्र या मूर्ति रखें।
  3. स्तोत्र का पाठ करना शुरू करें।
  4. प्रत्येक श्लोक को ध्यान से पढ़ें और अर्थ समझने की कोशिश करें।
  5. स्तोत्र का पाठ पूरे दिन में कई बार कर सकते हैं।

**कृष्णसहस्रनामस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो कृष्ण भक्तों को आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ा सकता है। यह स्तोत्र कृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है, और यह भक्तों को कृष्ण के गुणों और विशेषताओं को समझने में मदद कर सकता है।

स्तोत्र के कुछ उदाहरण

  • श्लोक 1:

ओम नमो भगवते वासुदेवाय

हे भगवान वासुदेव, मैं आपको नमन करता हूं।

  • श्लोक 100:

कृष्णाय गोविंदाय वासुदेवाय देवकीपुत्राय नमो नमः

हे कृष्ण, हे गोविंद, हे वासुदेव, हे देवकीपुत्र, मैं आपको नमन करता हूं।

  • श्लोक 1000:

कृष्णाय सर्वलोकेशाय सर्वगुणातिथेशाय

हे कृष्ण, हे समस्त लोकों के स्वामी, हे समस्त गुणों के अधिष्ठाता, मैं आपको नमन करता हूं।

स्तोत्र का अर्थ

कृष्णसहस्रनामस्तोत्रम् का अर्थ है "भगवान कृष्ण के 1000 नामों की स्तुति"। स्तोत्र में, कृष्ण के विभिन्न नामों का उल्लेख किया गया है, जो उनके विभिन्न रूपों, पहलुओं और गुणों को दर्शाते हैं। स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण की भावना विकसित करने में मदद मिल सकती है।

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