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  • Create Date November 10, 2023
  • Last Updated November 10, 2023

krshnachandraashtakam 3

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में रचित है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 की रचना 14वीं शताब्दी के कवि जयदेव ने की थी। यह स्तोत्र "चंद्राष्टकम्" के नाम से भी जाना जाता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक इस प्रकार हैं:

  • श्लोक 1:

कृष्णचंद्राष्टकम् गायति जयदेवः भक्त्या कृतम् श्रीकृष्णस्य चन्द्रवदना रूपस्य गुणानुकीर्तनाम्

  • अनुवाद:

भक्त जयदेव कृत कृष्णचंद्राष्टकम् गायन करता है। यह श्रीकृष्ण के चंद्रमुखी रूप की गुणों का वर्णन करता है।

  • श्लोक 8:

जयदेवेनोक्तं चन्द्राष्टकम् पठित्वा भवतु मुक्तिः श्रीकृष्णस्य कृपाप्रसादेन सर्वे पापकृत्यविमुक्ताः

  • अनुवाद:

जयदेव द्वारा रचित चंद्राष्टकम् का पाठ करने से मोक्ष प्राप्त होता है। श्रीकृष्ण की कृपा से सभी पापकर्मों से मुक्ति मिलती है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 एक सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है और उन्हें भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:

  • यह स्तोत्र 14वीं शताब्दी के कवि जयदेव द्वारा रचित है।
  • यह स्तोत्र 8 श्लोकों में रचित है।
  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 का पाठ आमतौर पर भगवान कृष्ण के जन्मदिन या जन्माष्टमी के अवसर पर किया जाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों को उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में रचित है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 की रचना 14वीं शताब्दी के कवि जयदेव ने की थी। यह स्तोत्र "चंद्राष्टकम्" के नाम से भी जाना जाता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक इस प्रकार हैं:

  • श्लोक 1:

कृष्णचंद्राष्टकम् गायति जयदेवः भक्त्या कृतम् श्रीकृष्णस्य चन्द्रवदना रूपस्य गुणानुकीर्तनाम्

  • अनुवाद:

भक्त जयदेव कृत कृष्णचंद्राष्टकम् गायन करता है। यह श्रीकृष्ण के चंद्रमुखी रूप की गुणों का वर्णन करता है।

  • श्लोक 8:

जयदेवेनोक्तं चन्द्राष्टकम् पठित्वा भवतु मुक्तिः श्रीकृष्णस्य कृपाप्रसादेन सर्वे पापकृत्यविमुक्ताः

  • अनुवाद:

जयदेव द्वारा रचित चंद्राष्टकम् का पाठ करने से मोक्ष प्राप्त होता है। श्रीकृष्ण की कृपा से सभी पापकर्मों से मुक्ति मिलती है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 एक सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है और उन्हें भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:

  • यह स्तोत्र 14वीं शताब्दी के कवि जयदेव द्वारा रचित है।
  • यह स्तोत्र 8 श्लोकों में रचित है।
  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 का पाठ आमतौर पर भगवान कृष्ण के जन्मदिन या जन्माष्टमी के अवसर पर किया जाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों को उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 के पाठ के लाभ:

  • भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
  • मोक्ष प्राप्त होता है।
  • सभी पापकर्मों से मुक्ति मिलती है।
  • भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न होती है।
  • भक्तों को भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित मिलता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 का पाठ करने की विधि:

  • एकांत स्थान में बैठें।
  • अपने हाथों को जोड़ें और भगवान कृष्ण का ध्यान करें।
  • स्तोत्र का पाठ करें।
  • स्तोत्र का पाठ करते समय भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करें।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 का पाठ करने से भक्तों को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और वे उनके मार्ग पर चलकर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 के पाठ के लाभ:

  • भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
  • मोक्ष प्राप्त होता है।
  • सभी पापकर्मों से मुक्ति मिलती है।
  • भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न होती है।
  • भक्तों को भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित मिलता है।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 का पाठ करने की विधि:

  • एकांत स्थान में बैठें।
  • अपने हाथों को जोड़ें और भगवान कृष्ण का ध्यान करें।
  • स्तोत्र का पाठ करें।
  • स्तोत्र का पाठ करते समय भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करें।

कृष्णचंद्राष्टकम् 3 का पाठ करने से भक्तों को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और वे उनके मार्ग पर चलकर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।


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