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  • Create Date November 7, 2023
  • Last Updated November 7, 2023

Kaalhastishvarstutih

कालहस्तीश्वरस्तुतिः एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र कालहस्तीश्वर मंदिर, जो कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, में पाया जाता है। स्तोत्र का पाठ इस प्रकार है:

ॐ नमः शिवाय

कालहस्तीश्वरस्तुतिः

अयि गिरिशंकर शंभो, सर्वेश्वर नमस्ते। तू कालहस्तीश्वर हो, तू त्रिपुरासुर का नाश करने वाला हो।

तू अविनाशी हो, तू सर्वव्यापी हो। तू सभी देवताओं के देवता हो, तू सभी प्राणियों के रक्षक हो।

तू दयालु हो, तू करुणामय हो। तू ज्ञान और भक्ति का दाता हो, तू मोक्ष का मार्गदर्शक हो।

हे शिव, कृपया हमें अपनी कृपा प्रदान करो। हमारे जीवन में खुशी, समृद्धि और शांति प्रदान करो।

ॐ नमः शिवाय

इस स्तोत्र का अर्थ इस प्रकार है:

  • पहला श्लोक भगवान शिव की स्तुति करता है। भक्त उन्हें "गिरिशंकर" और "शंभो" कहते हैं। वे उन्हें "सर्वेश्वर" कहते हैं।
  • दूसरा श्लोक भगवान शिव के नाम "कालहस्तीश्वर" की व्याख्या करता है। वे कहते हैं कि वे त्रिपुरासुर का नाश करने वाले हैं।
  • तीसरा श्लोक भगवान शिव की शक्ति और दया की प्रशंसा करता है। वे कहते हैं कि वे अविनाशी हैं, सर्वव्यापी हैं, सभी देवताओं के देवता हैं, और सभी प्राणियों के रक्षक हैं।
  • चौथा श्लोक भगवान शिव के गुणों की प्रशंसा करता है। वे कहते हैं कि वे दयालु हैं, करुणामय हैं, ज्ञान और भक्ति के दाता हैं, और मोक्ष का मार्गदर्शक हैं।
  • पांचवां श्लोक भगवान शिव से प्रार्थना करता है। भक्त उनसे अपनी कृपा प्रदान करने के लिए कहते हैं। वे अपने जीवन में खुशी, समृद्धि और शांति प्रदान करने के लिए कहते हैं।

कालहस्तीश्वरस्तुतिः एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकती है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है जो अपने जीवन में खुशी, समृद्धि और शांति की तलाश में हैं।

स्तोत्र का उपयोग कैसे करें:

Kaalhastishvarstutih

  • शुद्धिकरण करें। स्तोत्र का पाठ करने से पहले, अपने शरीर और मन को शुद्ध करना महत्वपूर्ण है। आप स्नान कर सकते हैं, धूप जला सकते हैं, या मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • शांत स्थान खोजें। स्तोत्र का पाठ करने के लिए एक शांत स्थान खोजना महत्वपूर्ण है जहां आप विचलित नहीं होंगे।
  • एकाग्रता करें। स्तोत्र का पाठ करते समय, अपने मन को भगवान शिव पर केंद्रित करें। उनके गुणों और कृपा के बारे में सोचें।
  • पूरे मन से प्रार्थना करें। स्तोत्र का पाठ करते समय, अपने दिल से प्रार्थना करें। भगवान शिव से कृपा और आशीर्वाद के लिए कहें।

स्तोत्र का पाठ करने के बाद, कुछ मिनटों के लिए शांति से बैठें और भगवान शिव की उपस्थिति को महसूस करें।

दक्षकृतं शिवापराधक्षमास्तोत्रम् Dakshakritam Shivaparadhakshamastotram


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