• Version
  • Download 874
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 6, 2023
  • Last Updated October 6, 2023

एकादशमुखी हनुमत्कवच (रुद्रयामल अंतर्गत) एक संस्कृत श्लोक है जो हनुमान जी की स्तुति करता है। यह कवच रुद्रयामल, एक तांत्रिक ग्रंथ में पाया जाता है।

कवच इस प्रकार है:

नमस्ते हनुमते महाबलपराक्रमे
विघ्ननाशे सर्वकार्ये सिद्धिप्रदाय।

दशमुखस्य दशनांशो त्वं हनुमन्
एकोऽष्टमुखस्य मुखस्य त्वं बजरंग।

नवमुखस्य नवांशो त्वं हनुमते
अष्टमुखस्य मुखस्य त्वं महावीर।

सप्तमुखस्य सप्तांशो त्वं हनुमते
षट्मुखस्य मुखस्य त्वं महाबल।

पंचमुखस्य पंचांशो त्वं हनुमते
चतुर्मुखस्य मुखस्य त्वं महाघोर।

त्रिमुखस्य त्रिकांशो त्वं हनुमते
द्विमुखस्य मुखस्य त्वं महाभय।

एकोमुखस्य एकांशो त्वं हनुमते
अष्टमुखस्य मुखस्य त्वं महावीर।

इति हनुमत्कवचं समाप्तम्।

इस कवच में, हनुमान जी को एकादशमुखी रूप में दर्शाया गया है। प्रत्येक मुख को अलग-अलग शक्तियों से संपन्न माना जाता है।

कवच की शुरुआत हनुमंत जी के नमस्कार से होती है। इसके बाद, प्रत्येक मुख को अलग-अलग शक्तियों के साथ संबद्ध किया जाता है। उदाहरण के लिए, दशमुखी मुख को विघ्ननाशक माना जाता है, जबकि अष्टमुखी मुख को सिद्धिप्रदायक माना जाता है।

कवच के अंत में, इसकी समाप्ति की घोषणा की जाती है।

यह कवच हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस कवच के पाठ से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।

यहां कवच का एक सरल अर्थ है:

नमस्कार है हनुमंत जी को, जो महान बल और पराक्रम के स्वामी हैं। आप सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करते हैं।

आप दशमुखी रावण के दस मुखों में से एक हैं। आप एकमुखी हनुमान जी के आठ मुखों में से एक हैं।

आप नवमुखी हनुमान जी के नौ मुखों में से एक हैं। आप अष्टमुखी हनुमान जी के आठ मुखों में से एक हैं।

आप सप्तमुखी हनुमान जी के सात मुखों में से एक हैं। आप षट्मुखी हनुमान जी के छह मुखों में से एक हैं।

आप पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुखों में से एक हैं। आप चतुर्मुखी हनुमान जी के चार मुखों में से एक हैं।

आप त्रिमुखी हनुमान जी के तीन मुखों में से एक हैं। आप द्विमुखी हनुमान जी के दो मुखों में से एक हैं।

आप एकमुखी हनुमान जी के एक मुख में से एक हैं। आप अष्टमुखी हनुमान जी के आठ मुखों में से एक हैं।

इस प्रकार हनुमत्कवच समाप्त होता है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने जीवन को साकार करें उपनिषद पढ़कर 60 से भी अधिक उपनिषद PDF