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- Create Date November 4, 2023
- Last Updated November 4, 2023
ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरम्भिक स्रोत है। इसमें १० मण्डल, १०२८ सूक्त और वर्तमान में १०, ४६२ मन्त्र हैं, मन्त्र संख्या के विषय में विद्वानों में कुछ मतभेद है। मन्त्रों में देवताओं की स्तुति की गयी है। इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं। यही सर्वप्रथम वेद है।
ऋग्वेद की रचना प्राचीन काल में भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में हुई थी। इसकी भाषा वैदिक संस्कृत है, जो प्राचीन संस्कृत का एक रूप है। ऋग्वेद में देवताओं की स्तुति के साथ-साथ प्रकृति, जीवन, और समाज के बारे में भी वर्णन है।
ऋग्वेद में वर्णित प्रमुख देवताओं में इंद्र, अग्नि, वरुण, सोम, और सूर्य शामिल हैं। इंद्र को देवताओं का राजा माना जाता है। अग्नि को यज्ञ का देवता माना जाता है। वरुण को नदियों और समुद्रों का देवता माना जाता है। सोम को औषधीय जड़ी-बूटी माना जाता है। सूर्य को प्रकाश और जीवन का देवता माना जाता है।
ऋग्वेद में प्रकृति का वर्णन अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण है। इसमें सूर्य, चंद्रमा, तारे, नदियाँ, पर्वत, और वनस्पतियों का वर्णन किया गया है। ऋग्वेद में जीवन के विभिन्न पहलुओं का भी वर्णन किया गया है, जैसे कि जन्म, मृत्यु, प्रेम, और युद्ध।
ऋग्वेद भारतीय संस्कृति और सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भारतीय धर्म, दर्शन, और साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है।
Rigved
ऋग्वेद की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
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- यह विश्व का सबसे प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ है।
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- इसमें देवताओं की स्तुति के साथ-साथ प्रकृति, जीवन, और समाज के बारे में भी वर्णन है।
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- यह वैदिक संस्कृत में लिखा गया है।
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- इसमें १० मण्डल, १०२८ सूक्त और १०, ४६२ मन्त्र हैं।
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- इसमें वर्णित प्रमुख देवताओं में इंद्र, अग्नि, वरुण, सोम, और सूर्य शामिल हैं।
ऋग्वेद का अध्ययन भारतीय संस्कृति और सभ्यता को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह एक अमूल्य धरोहर है, जो हमें हमारे अतीत से जोड़ती है।
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