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  • Create Date October 6, 2023
  • Last Updated October 6, 2023

आर्या दुर्गाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो हिंदू देवी दुर्गा की स्तुति करता है। यह स्तोत्र देवी दुर्गा की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है।

आर्या दुर्गाष्टकम् के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  • स्तोत्र की शुरुआत में, भक्त देवी दुर्गा को नमस्कार करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।
  • स्तोत्र के शेष श्लोकों में, देवी दुर्गा की महिमा और शक्ति का वर्णन किया गया है। इन श्लोकों में, देवी को सभी दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली के रूप में वर्णित किया गया है।
  • स्तोत्र के अंत में, भक्त देवी दुर्गा से जीवन में सफलता और मोक्ष प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

आर्या दुर्गाष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।

आर्या दुर्गाष्टकम् के पाठ से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह स्तोत्र भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को सभी बाधाओं को दूर करने में मदद करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है।

आर्या दुर्गाष्टकम् को पढ़ने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:

  1. एकांत स्थान में एक स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं।
  2. देवी दुर्गा का ध्यान करें।
  3. स्तोत्र का पाठ करें।
  4. स्तोत्र के अंत में, देवी दुर्गा से प्रार्थना करें।

आर्या दुर्गाष्टकम् के कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:

  • प्रथम श्लोक:

आर्यादुर्गाऽभिधाना हिमगिरिदुहिता शङ्करार्धासनस्था, माता षट्मातुरस्याखिलजनविनुता संस्थिता स्वासनेऽग्र्ये।

अर्थ:

आर्या दुर्गा के नाम से विख्यात, हिमालय की पुत्री, भगवान शिव के अर्धांगिनी, सभी लोगों द्वारा नमस्कार की जाने वाली, संसार में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर स्थित, माता षट्मातुरों में से एक।

  • द्वितीय श्लोक:

मातस्त्वां साम्बपत्नीं विदुरखिलजना वेदशास्त्राश्रयेण, नाहं मन्ये तथा त्वां मयि हरिदयितामम्बुजैकासनस्थाम्।

अर्थ:

हे माता! आपको साम्ब की पत्नी के रूप में सभी लोग वेदशास्त्रों के आश्रित होकर जानते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता। तुम मेरे हृदय में प्रतिष्ठित हो, कमल के आसन पर विराजमान।

  • अंतिम श्लोक:

त्वद्रूपज्ञानकामा विविधविधसमैकॢप्ततर्कैरनेकै- र्नो शक्ता निर्जरास्ते विधि-हरि-हरसंज्ञा जगद्वन्द्यपादाः।

अर्थ:

हे देवी! तुम्हारे रूप को जानने के लिए मैंने अनेक प्रकार के तर्कों का प्रयोग किया, लेकिन वे सब निष्फल रहे। तुम्हारे चरण, जो विधि, शिव और हरि के नाम से प्रसिद्ध हैं, जगद्वंद्य हैं।

आर्या दुर्गाष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।


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