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- Create Date November 4, 2023
- Last Updated November 4, 2023
Aaratee bhagavaan gangaadhar
भगवान गंगाधर की आरती
प्रथम श्लोक
जय गंगाधर हर शिव, जय मुक्तिदाता त्रिशूलधारी। गंगा जल से शीश धोया, पापों से मुक्त होया।
अर्थ:
हे गंगाधर भगवान शिव, हे मुक्तिदाता त्रिशूलधारी, आपका जय हो। आपने गंगाजल से अपना शीश धोया, जिससे हम पापों से मुक्त हो गए।
दूसरा श्लोक
गंगाधर, नंदीश्वर, भोलेनाथ, शंभु। त्रिशूलधारी, डमरूधारी, शिवजी के नाम अनंत।
अर्थ:
आप गंगाधर हैं, अर्थात् आपने गंगा को अपने सिर पर धारण किया है। आप नंदीश्वर हैं, अर्थात् आप नंदी के स्वामी हैं। आप भोलेनाथ हैं, अर्थात् आप शांत और सरल हैं। आप शंभु हैं, अर्थात् आप शिव हैं। आप त्रिशूलधारी हैं, अर्थात् आपके हाथ में त्रिशूल है। आप डमरूधारी हैं, अर्थात् आपके हाथ में डमरू है। आपके अनेक नाम हैं, जो आपके विभिन्न गुणों और शक्तियों को दर्शाते हैं।
तीसरा श्लोक
आज हम आरती करते हैं, भगवान शिव की। उनके चरणों में शीश झुकाते हैं, और प्रार्थना करते हैं।
अर्थ:
आज हम भगवान शिव की आरती करते हैं। हम उनके चरणों में अपना सिर झुकाते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं।
Aaratee bhagavaan gangaadhar
आरती का पाठ करने के लिए:
- एक शांत स्थान पर जाएं और अपने हाथों को जोड़ लें।
- भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने खड़े हो जाएं।
- आरती का पाठ करें, और प्रत्येक पंक्ति के बाद फूल या प्रसाद चढ़ाएं।
- आरती के अंत में, भगवान शिव को प्रणाम करें।
आरती का लाभ:
आरती एक शक्तिशाली उपाय है जो भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह भक्तों को भगवान शिव के करीब आने और उनके दिव्य ज्ञान और कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
आरती का विशेष महत्व:
भगवान गंगाधर को गंगा के साथ एक रूप माना जाता है। गंगा नदी को पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, भगवान गंगाधर की आरती का पाठ करने से भक्तों को पवित्रता और मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है।
आरती के कुछ लाभ:
- भक्ति: आरती का नियमित पाठ भक्तों की भक्ति को बढ़ाता है।
- शांति: आरती मन को शांत करती है और तनाव को दूर करती है।
- आत्मविश्वास: आरती आत्मविश्वास को बढ़ाती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: आरती सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
- मोक्ष: आरती मोक्ष प्राप्त करने में मदद करती है।
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