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- Create Date November 10, 2023
- Last Updated November 10, 2023
Aatmashatakam, nirvaanashatakam saarthakam
आत्मशतकम और निर्वाणशतकम दोनों ही संस्कृत स्तोत्र हैं जो आत्मा और निर्वाण के विषय पर आधारित हैं। ये दोनों स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित हैं।
आत्मशतकमआत्मा की महिमा का वर्णन करता है। इसमें आत्मा के गुणों, कार्यों और महत्व का वर्णन किया गया है।
निर्वाणशतकमनिर्वाण की महिमा का वर्णन करता है। इसमें निर्वाण की प्राप्ति के मार्ग और फल का वर्णन किया गया है।
आत्मशतकम के कुछ महत्वपूर्ण अंश निम्नलिखित हैं:
- "आत्मा अविनाशी है। आत्मा अनंत है। आत्मा सर्वव्यापी है। आत्मा सर्वशक्तिमान है।"
इस अंश में स्तोत्रकार आत्मा के गुणों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि आत्मा अविनाशी है। आत्मा अनंत है। आत्मा सर्वव्यापी है। आत्मा सर्वशक्तिमान है।
- "आत्मा ही ईश्वर है। आत्मा और ईश्वर एक ही हैं। आत्मा में ही ईश्वर का वास है।"
इस अंश में स्तोत्रकार आत्मा और ईश्वर की एकता को प्रतिपादित करते हैं। वे कहते हैं कि आत्मा और ईश्वर दोनों ही एक ही हैं। आत्मा में ही ईश्वर का वास है।
- "आत्मा ही ज्ञान है। आत्मा ही क्रिया है। आत्मा ही आनंद है। आत्मा ही मोक्ष है।"
इस अंश में स्तोत्रकार आत्मा के कार्यों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि आत्मा ही ज्ञान है। आत्मा ही क्रिया है। आत्मा ही आनंद है। आत्मा ही मोक्ष है।
Aatmashatakam, nirvaanashatakam saarthakam
निर्वाणशतकम के कुछ महत्वपूर्ण अंश निम्नलिखित हैं:
- "निर्वाण ही परम सत्य है। निर्वाण ही परम शांति है। निर्वाण ही परम आनंद है।"
इस अंश में स्तोत्रकार निर्वाण की महिमा का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि निर्वाण ही परम सत्य है। निर्वाण ही परम शांति है। निर्वाण ही परम आनंद है।
- "निर्वाण की प्राप्ति से सभी दुखों का नाश हो जाता है। निर्वाण की प्राप्ति से सभी बंधनों से मुक्ति मिल जाती है। निर्वाण की प्राप्ति से मोक्ष प्राप्त होता है।"
इस अंश में स्तोत्रकार निर्वाण की प्राप्ति के फल का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि निर्वाण की प्राप्ति से सभी दुखों का नाश हो जाता है। निर्वाण की प्राप्ति से सभी बंधनों से मुक्ति मिल जाती है। निर्वाण की प्राप्ति से मोक्ष प्राप्त होता है।
आत्मशतकम और निर्वाणशतकम दोनों ही हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्तोत्र हैं। ये स्तोत्र आत्मा और निर्वाण के विषय पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
इन स्तोत्रों को सार्थक माना जा सकता है क्योंकि वे आत्मा और निर्वाण के विषय पर सटीक और गहन जानकारी प्रदान करते हैं। ये स्तोत्र भक्तों को आत्मज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।
आत्मेश्वरतत्त्वपञ्चरत्नम् Aatmeshvaratattvapancharatnam
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