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  • Create Date November 10, 2023
  • Last Updated November 10, 2023

Ashtamoortistutih

अष्टमूर्तीस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो शिव के आठ रूपों की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है।

स्तोत्र का हिंदी अनुवाद:

श्लोक 1

स्तोत्रकार कहते हैं, "मैं अष्टमूर्तीस्तोत्र का पाठ करता हूं जो शिव के आठ रूपों की महिमा का वर्णन करता है।"

श्लोक 2

"शिव के आठ रूप हैं:

  • सदाशिव
  • रूद्र
  • भैरव
  • गणेश
  • विघ्नेश्वर
  • अघोर
  • बटुक
  • नीलकंठ

ये आठ रूप शिव की सर्वोच्चता, गुणों और कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।"

श्लोक 3

"सदाशिव सृष्टि के रचयिता, पालनहार और संहारक हैं। वे ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में जाने जाते हैं।"

श्लोक 4

"रूद्र संहार के देवता हैं। वे ही भक्तों के कष्टों को दूर करने वाले हैं।"

श्लोक 5

"भैरव भक्तों के रक्षक हैं। वे ही दुष्टों का नाश करने वाले हैं।"

श्लोक 6

"गणेश बुद्धि और ज्ञान के देवता हैं। वे ही सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं।"

श्लोक 7

"विघ्नेश्वर विघ्नों के नाश करने वाले हैं। वे ही सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाले हैं।"

श्लोक 8

"अघोर अज्ञान और अंधकार का नाश करने वाले हैं। वे ही मोक्ष के मार्ग को दिखाने वाले हैं।"

श्लोक 9

"बटुक शिव के बाल रूप हैं। वे ही सभी सुखों को प्रदान करने वाले हैं।"

श्लोक 10

"नीलकंठ विष का पान करने वाले हैं। वे ही सभी विषों को नष्ट करने वाले हैं।"

Ashtamoortistutih

अष्टमूर्तीस्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जो शिव के आठ रूपों की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र शिव भक्तों के बीच लोकप्रिय है।

स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण अंश निम्नलिखित हैं:

  • "शिव के आठ रूप शिव की सर्वोच्चता, गुणों और कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।"

इस अंश में स्तोत्रकार शिव के आठ रूपों की महत्ता को प्रतिपादित करते हैं। वे कहते हैं कि शिव के आठ रूप उनकी सर्वोच्चता, गुणों और कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • "सदाशिव सृष्टि के रचयिता, पालनहार और संहारक हैं।"

इस अंश में स्तोत्रकार सदाशिव के गुणों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि सदाशिव सृष्टि के रचयिता, पालनहार और संहारक हैं।

  • "भैरव भक्तों के रक्षक हैं।"

इस अंश में स्तोत्रकार भैरव के गुणों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भैरव भक्तों के रक्षक हैं।

  • "नीलकंठ विष का पान करने वाले हैं।"

इस अंश में स्तोत्रकार नीलकंठ के गुणों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि नीलकंठ विष का पान करने वाले हैं।

अष्टमूर्तीस्तोत्रम् एक सार्थक स्तोत्र है क्योंकि यह शिव के आठ रूपों की महिमा का वर्णन करता है। ये रूप शिव की सर्वोच्चता, गुणों और कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह स्तोत्र शिव भक्तों को शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति विकसित करने में मदद कर सकता है।

अष्टमूर्तीस्तोत्रम् के कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:

  • शिव के आठ रूपों की महिमा का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ती है।
  • मोक्ष प्राप्ति के मार्ग का बोध होता है।

अष्टमूर्तिस्तोत्रम् Ashtamoortistotram


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