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  • Create Date November 2, 2023
  • Last Updated November 2, 2023

अथर्ववेद हिन्दू धर्म के चार मुख्य वेदों में से एक है। यह वेद सबसे बाद में लिखा गया है, और इसमें मंत्रों के साथ विभिन्न प्रायोगिक उपयोग, उपचार, सुरक्षा और संपदा के लिए प्रार्थनाएं, व्याधि निवारण, वशीकरण और प्रभावशाली मंत्र आदि दिए गए हैं। अथर्ववेद का अर्थ होता है "अथर्वण के वेद"। अथर्वण एक ब्राह्मण कुल का ऋषि था, जिन्होंने इस वेद के मंत्रों को ग्रहण किया था। इसमें मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उपचारों, अद्भुत शक्तियों और विशेष आयामों का वर्णन किया गया है।

अथर्ववेद को ऋग्वेद के बाद की वेदांत अवस्था माना जाता है। इसमें देवताओं के बजाय मनुष्य और प्रकृति के साथ संबंध पर अधिक ध्यान दिया गया है। अथर्ववेद में मंत्रों का उपयोग विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

AtharvaVed

    • रोगों का इलाज: अथर्ववेद में कई मंत्र हैं जो विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।
    • कामनाओं की पूर्ति: अथर्ववेद में कई मंत्र हैं जो धन, संपत्ति, और अन्य सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।
    • शत्रुओं से रक्षा: अथर्ववेद में कई मंत्र हैं जो शत्रुओं से रक्षा के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।
    • अति प्राकृतिक शक्तियों का उपयोग: अथर्ववेद में कई मंत्र हैं जो अति प्राकृतिक शक्तियों का उपयोग करने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

अथर्ववेद एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है जो हिंदू धर्म के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा ग्रन्थ है जो हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण मूल्यों के बारे में सिखाता है, और यह आज भी प्रासंगिक है।

अथर्ववेद के कुछ प्रमुख विषय हैं:

    • देवता: अथर्ववेद में देवताओं का भी उल्लेख किया गया है, लेकिन ऋग्वेद की तुलना में कम। अथर्ववेद में देवताओं को अक्सर प्रकृति की शक्तियों के रूप में देखा जाता है।
    • प्रकृति: अथर्ववेद में प्रकृति का भी वर्णन किया गया है, लेकिन ऋग्वेद की तुलना में अधिक विस्तार से। अथर्ववेद में प्रकृति के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
        • वनस्पति: अथर्ववेद में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों का वर्णन किया गया है।
        • पशु: अथर्ववेद में विभिन्न प्रकार के पशुओं का वर्णन किया गया है।
        • खनिज: अथर्ववेद में विभिन्न प्रकार के खनिजों का वर्णन किया गया है।
        • वायुमंडल: अथर्ववेद में वायुमंडल के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।
        • जल: अथर्ववेद में जल के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।
    • मानव जीवन: अथर्ववेद में मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
        • प्रेम: अथर्ववेद में प्रेम के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।
        • युद्ध: अथर्ववेद में युद्ध के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।
        • रोग: अथर्ववेद में रोगों के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।
        • मृत्यु: अथर्ववेद में मृत्यु के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।
    • ब्रह्ांड: अथर्ववेद में ब्रह्मांड के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
        • उत्पत्ति: अथर्ववेद में ब्रह्मांड की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है।
        • प्रकृति: अथर्ववेद में ब्रह्मांड की प्रकृति का वर्णन किया गया है।
        • अंत: अथर्ववेद में ब्रह्मांड के अंत का वर्णन किया गया है।

अथर्ववेद एक जटिल और गहन ग्रन्थ है। इसे समझने के लिए गहन अध्ययन और ध्यान की आवश्यकता होती है। यह एक ऐसा ग्रन्थ है जो हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण मूल्यों के बारे में सिखाता है, और यह आज भी प्रासंगिक है।

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