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  • Create Date November 10, 2023
  • Last Updated November 10, 2023

अच्युताष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में रचित है।

अच्युताष्टकम् की रचना 8वीं शताब्दी के कवि शंकराचार्य द्वारा की गई थी। यह स्तोत्र "अष्टपदी" छंद में रचित है।

अच्युताष्टकम् के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक इस प्रकार हैं:

achyutaashtakam 1

  • श्लोक 1:

अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ॥

  • अनुवाद:

अच्युत, केशव, राम, नारायण, कृष्ण, दामोदर, वासुदेव, हरि, श्रीधर, माधव, गोपिकावल्लभ, जानकीनायक, रामचन्द्र - इन सभी नामों से मैं भगवान विष्णु की वंदना करता हूँ।

  • श्लोक 8:

अच्युताष्टकं यः पठेदिष्टदं प्रेमतः भक्त्या मनसा नित्यम् तस्य सर्वे मनोरथाः सिद्धिं प्राप्नुवन्ति ध्रुवम् ॥

  • अनुवाद:

जो भक्त इस अच्युताष्टक का नित्य मन से भक्तिपूर्वक पाठ करता है, उसके सभी मनोरथ अवश्य ही सिद्ध होते हैं।

अच्युताष्टकम् एक सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है।

अच्युताष्टकम् का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है और उन्हें भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

अच्युताष्टकम् के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:

  • यह स्तोत्र 8वीं शताब्दी के कवि शंकराचार्य द्वारा रचित है।
  • यह स्तोत्र 8 श्लोकों में रचित है।
  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है।

अच्युताष्टकम् का पाठ आमतौर पर भगवान कृष्ण के जन्मदिन या जन्माष्टमी के अवसर पर किया जाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों को उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

अच्युताष्टकम् के पाठ के लाभ:

  • भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
  • मोक्ष प्राप्त होता है।
  • सभी पापकर्मों से मुक्ति मिलती है।
  • भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न होती है।
  • भक्तों को भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित मिलता है।

अच्युताष्टकम् का पाठ करने की विधि:

  • एकांत स्थान में बैठें।
  • अपने हाथों को जोड़ें और भगवान कृष्ण का ध्यान करें।
  • स्तोत्र का पाठ करें।
  • स्तोत्र का पाठ करते समय भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करें।

अच्युताष्टकम् का पाठ करने से भक्तों को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और वे उनके मार्ग पर चलकर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

अच्युताष्टकम् के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों का अर्थ इस प्रकार है:

  • श्लोक 1:

"मैं अच्युत, केशव, राम, नारायण, कृष्ण, दामोदर, वासुदेव, हरि, श्रीधर, माधव, गोपिकावल्लभ, जानकीनायक, रामचन्द्र - इन सभी नामों से भगवान विष्णु की वंदना करता हूँ।"

  • श्लोक 8:

"जो भक्त इस अच्युताष्टक का नित्य मन से भक्तिपूर्वक पाठ करता है, उसके सभी मनोरथ अवश्य ही सिद्ध होते हैं।"

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