गुरुवायुरप्प अथवा नारायणीय तथा रोगहरसहस्रनामावलिः Guruvayurap or Narayaniya and Rogaharasahasranamavalih.

गुरुवायुराप एक धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 13वीं शताब्दी के वैष्णव संत और दार्शनिक माधवाचार्य द्वारा रचित है। स्तोत्र में, माधवाचार्य भगवान विष्णु को गुरुवायुर के मंदिर के देवता के रूप में स्वीकार…

गोपालशतकम् Gopalashatkam

गोपालशतकम् एक धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 15वीं शताब्दी के वैष्णव संत वल्लभाचार्य द्वारा रचित है। स्तोत्र में, वल्लभाचार्य भगवान कृष्ण के गोपाल रूप की महिमा का वर्णन करते हैं। वे भगवान कृष्ण…

गोपालस्तवः २ (रघुनाथजीकृतः) Gopalastavah 2 (Raghunathjikirtah)

गोपालस्तव (गोपालतपनीय उपनिषदन्तर्गत) एक धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र गोपालतपनीय उपनिषद में पाया जाता है, जो एक वैष्णव उपनिषद है। स्तोत्र में, अज्ञात कवि भगवान कृष्ण के गोपाल रूप की महिमा का वर्णन…

गोपालस्तुतिः (गोपालतापिन्युपनिषदन्तर्गता) Gopalastutih (Gopalatapinyu Upanishadantargata)

गोपालस्तव (गोपालतपनीय उपनिषदन्तर्गत) एक धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र गोपालतपनीय उपनिषद में पाया जाता है, जो एक वैष्णव उपनिषद है। स्तोत्र में, अज्ञात कवि भगवान कृष्ण के गोपाल रूप की महिमा का वर्णन…

गोपीजनवल्लभाष्टकम् (वल्लभाचार्यविरचितम्) Gopijanvallabhashtakam (vallabhacharyavirachitam)

गोपीजनवल्लभष्टकम् (वल्लभाचार्यविरचितम्) एक धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 15वीं शताब्दी के वैष्णव संत वल्लभाचार्य द्वारा रचित है। स्तोत्र में, वल्लभाचार्य भगवान कृष्ण के गोपीजनवल्लभ रूप की महिमा का वर्णन करते हैं। वे भगवान…

गोवर्धनवासप्रार्थनादशकम् (रघुनाथदासगोस्वामिविरचितम्) Govardhanavasprarthanadashakam (Raghunathdasgoswamivirachitam)

हाँ, गोवर्धनवsprarthanadashakam (Raghunathdasgoswamivirachitam) एक धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र अठारहवीं शताब्दी के वैष्णव संत राघुनन्दनदास गोस्वामी द्वारा रचित है। स्तोत्र में, राघुनन्दनदास गोस्वामी भगवान कृष्ण की गोवर्धन पर्वत को बचाने की लीला की…

गोविन्दाष्टकं स्वामिब्रह्मानन्दकृतम् Govindashtakam Swamibrahmanandkritam

हाँ, गोविन्दष्टकम स्वामी ब्रह्मानन्दकृतम् एक धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के गोविन्द रूप की स्तुति करता है। यह स्तोत्र अठारहवीं शताब्दी के वैष्णव संत स्वामी ब्रह्मानन्द द्वारा रचित है। स्तोत्र में, स्वामी ब्रह्मानन्द भगवान विष्णु के गोविन्द रूप की…

चतुरशीतिवैष्णवनामावलीस्तोत्रम् Chaturshittivaishnavanamvalistotram

चतुर्शिष्टिवैष्णवानवलिस्तोत्रम् एक धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के चार रूपों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र अष्टम शताब्दी के वैष्णव संत श्री शंकराचार्य द्वारा रचित है। स्तोत्र में, श्री शंकराचार्य भगवान विष्णु के चार रूपों की महिमा का वर्णन…

चतुःश्लोकी १ Chatushloki 1

चतुश्लोकी 1 एक धार्मिक कविता है जो भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करती है। यह कविता चार श्लोकों में लिखी गई है, और इसका अर्थ है: श्लोक 1: जो कुछ दिखता है वह सत्य नहीं है, जो सत्य है…

चतुःश्लोकी २ Chatushloki 2

चतुश्लोकी 2 एक धार्मिक कविता है जो भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करती है। यह कविता चार श्लोकों में लिखी गई है, और इसका अर्थ है: श्लोक 1: वास्तव में न होने पर भी जो कुछ अनिर्वचनीय वस्तु मेरे…

चतुःश्लोकीभागवतम् Chatuhsloki Bhagavatam

चतुश्लोकी भागवतम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की स्तुति करता है। यह स्तोत्र चार श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में एक विशेष विषय का वर्णन है। स्तोत्र का पहला श्लोक भगवान विष्णु के अवतारों की प्रशंसा करता…

चर्पटपंजरी मराठी समवृत्त भावार्थ charpatpanjari marathi equivalent meaning

चरपटपंजरी का मराठी में समानार्थी अर्थ चतुर्भुज है। दोनों शब्दों का अर्थ है “चार हाथ वाला”। चरपटपंजरी एक संस्कृत शब्द है जो भगवान शिव के चार हाथों का वर्णन करता है। भगवान शिव के चार हाथों में त्रिशूल, डमरू, पात्र…