Datta Jayanti:भारत के राज्य महाराष्ट्र मे हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को दत्त जयंती, देव दत्तात्रेय के अवतरण / जन्म दिवस के रूप मे बड़ी ही धूम-धाम से मनायी जाती है। भगवान दत्तात्रेय एक समधर्मी देवता है और उन्हें त्रिमूर्ति अथार्त ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का अवतार माना जाता है।

दत्तात्रेय शीघ्र कृपा करने वाले, भक्त वत्सल, भक्त के स्मरण करते ही उन पर प्रशन्न हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें स्मृतिगामी तथा स्मृतिमात्रानुगन्ता भी कहा जाता है। दक्षिण भारत में प्रसिद्ध दत्त संप्रदाय, भगवान दत्तजी को ही अपना प्रमुख आराध्य मानता है।

दत्तात्रेय ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया के पुत्र थे। देवी अनसूया को पतिव्रता स्त्रियों मे सबसे श्रेष्ठ माना गया है। वनवास के समय माता सीता ने भी देवी अनसूया का आशीर्वाद ग्रहण किया तथा पतिव्रता धर्म के बारे मे शिक्षा प्राप्त की थी। दत्तात्रेय जन्म कथा विस्तार से जानिए!

दत्त जयन्ती कब है? | Datta Jayanti Kab Hai?

दत्त जयन्ती 2024 – शनिवार, 14 दिसम्बर 2024 [सत्यनारायण व्रत] 

पूर्णिमा तिथि : 14 दिसम्बर 2024 4:58pm – 15 दिसम्बर 2024 2:31pm

दत्त जयंती Datta Jayanti पूजा विधि

❀ दत्त जयंती के दिन भक्त जल्दी उठते हैं, पवित्र जल में स्नान करते हैं और दिन भर उपवास रखते हैं।
❀ भगवान दत्तात्रेय के तीन सिर और छह भुजाएं हैं। दत्तात्रेय जयंती पर उनके बाल स्वरूप की पूजा की जाती है।
❀ पूजा समारोह के दौरान विशिष्ट फूल, अगरबत्ती, दीपक और मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं।
❀ पूजा के दौरान देवता की मूर्ति या तस्वीर पर चंदन सिन्दूर और हल्दी लगानी चाहिए।

❀ यह भी महत्वपूर्ण है कि पूजा शुरू होने के बाद, भक्तों को भगवान दत्त की मूर्ति के चारों ओर सात चक्कर लगाने चाहिए और पूजा में सभी को प्रसाद और आरती वितरित करनी चाहिए।
❀ भगवान दत्तात्रेय के मंदिर इस दिन उत्सव का केंद्र होते हैं। मंदिरों को सजाया जाता है। कुछ स्थानों पर अवधूत गीता और जीवनमुक्त गीता भी पढ़ी जाती है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें स्वयं भगवान की वाणी है।

Datta Jayanti दत्त जयंती महत्व

भगवान दत्तात्रेय को समर्पित कई मंदिर हैं, खासकर दक्षिणी भारत में। वह महाराष्ट्र राज्य के एक प्रमुख देवता भी हैं। वास्तव में, प्रसिद्ध दत्त संप्रदाय का उदय दत्तात्रेय के पंथ से हुआ है। दत्त जयंती कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में भगवान दत्तात्रेय मंदिरों में बहुत खुशी और धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति दत्तात्रेय जयंती के दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान दत्तात्रेय की पूजा करता है और व्रत रखता है, तो उसकी सभी इच्छाएं और इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

भक्तों को अपनी आत्मा और मन को शुद्ध और प्रबुद्ध करने के लिए ओम श्री गुरुदेव दत्त और श्री गुरु दत्तात्रेय नमः जैसे मंत्रों का जाप करना चाहिए।

दत्त जयंती हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व मार्गशीर्ष पूर्णिमा को आता है और भगवान दत्तात्रेय की आराधना, भक्ति और ज्ञान प्राप्ति का अवसर प्रदान करता है। दत्तात्रेय भगवान को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त अवतार माना जाता है।

दत्त जयंती Datta Jayanti 2024 तिथि एवं मुहूर्त

  • तारीख: 15 दिसंबर 2024, रविवार
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 14 दिसंबर 2024 को रात्रि 9:44 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 15 दिसंबर 2024 को रात्रि 11:19 बजे

भगवान दत्तात्रेय Datta Jayanti का परिचय

भगवान दत्तात्रेय, अत्रि ऋषि और अनसूया माता के पुत्र हैं। उनकी जीवन गाथा हमें संयम, भक्ति और त्याग का संदेश देती है। वे 24 गुरुओं के ज्ञान को आत्मसात कर हर व्यक्ति के लिए आदर्श मार्गदर्शन प्रस्तुत करते हैं।

दत्तात्रेय मंत्र Datta Jayanti

“ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः।”
यह मंत्र भगवान दत्तात्रेय के आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

इस पावन पर्व पर भगवान दत्तात्रेय की पूजा-अर्चना से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आए। दत्त जयंती की शुभकामनाएँ!

Datta Jayanti

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