Budha Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव की पूजा एवं भक्ति करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूजा करने के बाद दान करने का भी विधान है।
माह की त्रयोदशी तिथि का प्रदोष काल मे होना, (Budha Pradosh Vrat) प्रदोष व्रत होने का सही कारण है। प्रदोष का दिन जब साप्ताहिक दिवस सोमवार को होता है उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को होने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष तथा शनिवार के दिन प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं।
वैसे तो त्रयोदशी तिथि ही भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। परंतु प्रदोष के समय शिवजी की पूजा करना और भी लाभदायक है।
ध्यान देने योग्य तथ्य: प्रदोष व्रत एक ही देश के दो अलग-अलग शहरों के लिए अलग हो सकते हैं। चूँकि प्रदोष व्रत सूर्यास्त के समय, त्रयोदशी के प्रबल होने पर निर्भर करता है। तथा दो शहरों का सूर्यास्त का समय अलग-अलग हो सकता है, इस प्रकार उन दोनो शहरों के प्रदोष व्रत का समय भी अलग-अलग हो सकता है।
नातन धर्म में त्रयोदशी तिथि का खास महत्व है। यह दिन महादेव को प्रिय है। कहते हैं कि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा करने वाले साधक को जीवन में किसी चीज की कमी नहीं होती है। साथ ही पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साधक श्रद्धा भाव से त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। आइए, बुध प्रदोष व्रत की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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बुध प्रदोष व्रत (Budha Pradosh Vrat 2025 Kab Hai)
प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार मिलता है। बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहलाता है। Budha Pradosh Vrat बुध प्रदोष व्रत करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है।
बुध प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 06 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 07 अगस्त को त्रयोदशी तिथि दोपहर 02 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन पूजा का समय शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 16 मिनट तक है।
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बुध प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के बुध प्रदोष व्रत पर शिववास योग का संयोग है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। KARMASU.IN इस लेख में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।