Budh Pradosh Vrat Katha In Hindi: हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि का व्रत किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस दिन प्रदोष व्रत की कथा अवश्य सुननी चाहिए। बुध प्रदोष व्रत की कथा सुनने और कहने से हर पाप दूर होता है और जीवन में सब मंगल ही मंगल होता है।
बुध प्रदोष व्रत कथा: प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि का व्रत किया जाता है। अगर यह तिथि बुधवार के दिन पड़ती है, तब इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। जिस तरह एकादशी तिथि भगवान विष्णु को प्रिय है, उसी तरह प्रदोष तिथि का व्रत भगवान शिव को प्रिय है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करके (Pradosh Vrat Katha) बुध प्रदोष व्रत की कथा सुनने व कहने से धन, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
बुध प्रदोष व्रत कथा ( Budh Pradosh Vrat Katha )
बुध प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल की जाती है और पूजा के बाद ही भोजन किया जाता है। इस दिन हरे कपड़े पहनना और हरी चीजों का सेवन करना शुभ माना जाता है। सुबह उठकर नित्य क्रम से निवृत होकर विधि विधान के साथ भगवान शिव की पूजा करें। पौराणिक कथा के अनुसार, एक पुरुष की नई नई शादी हुई थी। गौने के बाद दूसरी बार पत्नी को लाने के लिए ससुराल पहुंचा और सास से कहा कि वह Pradosh Vrat Katha बुधवार के दिन पत्नी को लेकर जाएगा। लेकिन सभी लोगों ने कहा कि बुधवार के दिन मायके से ससुराल लेकर जाना सही नहीं है लेकिन वह नहीं माना।
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बीच सड़क पर हो गई लड़ाई
विवश होकर लड़की को भारी मन से विदा कर दिया। पति-पत्नी दोनों बैलगाड़ी में चल दिए। नगर से बाहर निकलते ही पत्नी को प्यास लगी और पति से पानी के लिए कहा। जब पति पानी लेकर आया तो देखा कि किसी पराए पुरुष के लोटे से पत्नी पानी पी रही है और हंस हंसकर बात कर रही है। Pradosh Vrat Katha वह पराया पुरुष बिल्कुल उसकी पति जैसी शक्ल सूरत का था। यह देखकर पति को गुस्सा आया और लड़ाई करना शुरू कर दी। लड़ाई होते देख, वहां भीड़ इकट्ठा हो गई।
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भगवान शिव से की प्रार्थना
Pradosh Vrat Katha इतने में एक सिपाही आया और महिला से पूछा कि सच सच बताओ कि तेरा पति इनमें से कौन सा है। लेकिन महिला दोनों पुरुषों की एक जैसी शक्ल होने की वजह से अपनी पति को पहचान ही नहीं पाई। महादेव ने उस पुरुष की प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसी क्षण वह अन्य पुरुष अचानक से गायब हो गया। भगवान शिव के आशीर्वाद से वह पुरुष अपनी पत्नी के साथ सकुशल अपने घर पहुंच गया। इसके बाद से दोनों पति-पत्नी नियमपूर्वक बुधवार प्रदोष व्रत करने लगे। बोलो भगवान शिव की जय। माता पार्वती की जय। भगवान गणेश की जय, भगवान कार्तिकेय की जय।





