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Bhuvaneshvari Jayanti

Bhuvaneshvari Jayanti 2025: हिंदू धर्म में, शक्ति स्वरूपा देवी के दस रूप हैं, जिन्हें दश महाविद्या कहा जाता है। इन दस महाविद्याओं में देवी भुवनेश्वरी चौथी महाविद्या हैं। वह अपने भक्तों को अभय सहित अनेक प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं। गृहस्थ लोग संतान प्राप्ति की कामना से देवी भुवनेश्वरी की पूजा करते हैं। Bhuvaneshvari Jayanti माँ भुवनेश्वरी को शक्ति प्रदान करने वाली माँ माना जाता है, जो प्राणियों को पोषण और शक्ति दोनों प्रदान करती हैं।

हर साल यह जयंती बहुत धूमधाम से मनाई जाती है।

भुवनेश्वरी जयंती 2025 कब है? (Bhuvaneshvari Jayanti 2025 Date & Time)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, Bhuvaneshvari Jayanti भुवनेश्वरी जयंती भाद्रपद शुक्ल द्वादशी के दिन मनाई जाती है। वर्ष 2025 में, भुवनेश्वरी जयंती गुरुवार, 4 सितंबर 2025 को है।

द्वादशी तिथि प्रारंभ: 04 सितंबर 2025, प्रातः 04:21 बजे से

द्वादशी तिथि समाप्त: 05 सितंबर 2025, प्रातः 04:08 बजे

देवी भुवनेश्वरी कौन हैं? (Who is Devi Bhuvaneshvari?)

देवी भुवनेश्वरी भुवनेश्वर रुद्र की शक्ति के रूप में वर्णित की जाती हैं। देवी पुराण में वर्णित है कि मूल प्रकृति ही देवी भुवनेश्वरी के रूप में विद्यमान हैं। उन्हें वामा, ज्येष्ठा और रौद्री आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है। देवी स्वयं शताक्षी और शाकंभरी देवी के रूप में विद्यमान हैं। देवी भुवनेश्वरी संपूर्ण सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी हैं और वे स्वयं संपूर्ण सृष्टि के रूप में विद्यमान हैं। Bhuvaneshvari Jayanti उन्हें आदि शक्ति के रूप में भी विख्यात किया गया है।

माँ भुवनेश्वरी देवी महादेव शिव की लीला-विलास का सहभागी मानी जाती हैं। उन्हें दस सबसे महत्वपूर्ण विद्याओं में से एक माना जाता है। वह तीनों लोकों को धारण करने वाली मानी जाती हैं। भक्तों के बीच वह अपनी अंकुश पाश और अभय मुद्रा धारण करने के लिए भी काफी मान्य हैं।

देवी भुवनेश्वरी का स्वरूप (Appearance of Devi Bhuvaneshvari)

यूं तो इनके नाम से उन्हें सख्त व क्रूर माना जाता है, लेकिन उनका स्वरूप पूर्णतया कांति व सौम्य है। उनके मस्तक पर चंद्रमा स्वरूप शोभा देखते ही बनती है। देवी भुवनेश्वरी अपने तेज और तीन नेत्रों से युक्त होने के कारण शक्तिशाली भी मानी जाती हैं। Bhuvaneshvari Jayanti उनके वैभव और शक्ति की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है।

माता भुवनेश्वरी पूरी सृष्टि की आराम और ऐश्वर्य की स्वामिनी मानी जाती हैं। उनका वर्ण श्याम तथा गौर माना जाता है, और उनके नख में पूरा ब्रह्मांड समाता है। माता भुवनेश्वरी के मुख का तेज सूर्य के समान लाल है, जो सकारात्मकता का संचार करता है। उनकी एक मुख और चार हाथ हैं, जो उनके यश और तेज की व्याख्या करते हैं।

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देवी भुवनेश्वरी जयंती कथा (Devi Bhuvaneshvari Jayanti Katha)

देवी भागवत में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय दुर्गम नामक राक्षस ने अपने अत्याचारों से सभी देवी-देवताओं को त्रस्त कर दिया था। दुर्गम राक्षस के अधर्म से व्यथित होकर देवताओं और ब्राह्मणों ने हिमालय पर्वत पर देवी भुवनेश्वरी की आराधना की। Bhuvaneshvari Jayanti देवताओं और ब्राह्मणों की आराधना से प्रसन्न होकर देवी स्वयं बाण, कमल पुष्प, शाक, मूल आदि लेकर वहां प्रकट हुईं।

देवी माँ ने अपने नेत्रों से जल की सहस्त्र धाराएँ प्रकट कीं, जिससे पृथ्वी के सभी प्राणी तृप्त हो गए। देवी माँ के नेत्रों से बहते आंसुओं के कारण सभी नदियां और समुद्र अपार जल से भर गए। सभी पेड़-पौधे, जड़ी-बूटियां और औषधियां सिंचित हो गईं। Bhuvaneshvari Jayanti देवी भुवनेश्वरी ने दुर्गमासुर से युद्ध किया और उसे परास्त कर दिया। इस तरह देवताओं पर आए भीषण संकट का समाधान हो गया। दुर्गमासुर का वध करने के कारण देवी भुवनेश्वरी, देवी दुर्गा के नाम से प्रसिद्ध हुईं।

दश महाविद्याएँ (Ten Mahavidya Devi)

देवी के दस रूप हैं, जिन्हें दश महाविद्या कहा जाता है। ये दस देवियां दिव्य स्त्री (आदि शक्ति) के महान ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती हैं। Bhuvaneshvari Jayanti ये हिंदू धर्म में तांत्रिक पूजा का केंद्र हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन और शक्ति प्रदान करती हैं।

1. काली

2. तारा

3. त्रिपुर सुंदरी (षोडशी)

4. भुवनेश्वरी

5. भैरवी

6. छिन्नमस्ता

7. धूमावती

8. बगलामुखी

9. मातंगी

10. कमला

मां भुवनेश्वरी देवी की पूजा विधि (How to Perform Devi Bhuvaneshvari Puja)

माँ भुवनेश्वरी की साधना के लिए कुछ विशेष समय बहुत ही शुभ माने जाते हैं:

• रात्रि

• ग्रहण

• होली

• दीपावली

• महाशिवरात्रि

• कृष्ण पक्ष की अष्टमी

• चतुर्दशी

आवश्यक सामग्री (Puja Samagri):

• लाल रंग के पुष्प

• नैवेद्य

• चंदन

• कुंकुम

• रुद्राक्ष की माला

• लाल रंग (वस्त्र आदि के लिए)

पूजा करने का तरीका: मां भुवनेश्वरी देवी जी की चौकी लाल वस्त्र से सुसज्जित होनी चाहिए। देवी मां की मूर्ति या चित्र स्थापित करके पंचोपचार और षोडशोपचार द्वारा पूजा करनी चाहिए।

मां भुवनेश्वरी देवी के मंत्र (Mantras of Devi Bhuvaneshvari)

मंत्रों का एक खास महत्व होता है और पूजा को सफल बनाने के लिए इन मंत्रों का जाप करना बहुत आवश्यक है। इन विशेष मंत्रों का जाप करने से मां भुवनेश्वरी देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो आपका जीवन सफल बनाने हेतु बहुत ही सहायक होते हैं। इनके मूल मंत्र हैं:

• “ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:”

• “हृं ऊं क्रीं” (त्रयक्षरी मंत्र)

• “ऐं हृं श्रीं ऐं हृं”

इन सभी मंत्रों का जाप करने से मां के भक्तों को असीम सुखों एवं सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

पूजा के लाभ (Benefits of Worship)

देवी भुवनेश्वरी भक्तों को संतान सुख, धन, विद्या और सौभाग्य आदि प्रदान करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से भक्तों को असीम आराम और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह देव चेतनात्मक अनुभूति का आनंद करा सकती है यदि इनकी पूजा पूरे सद्भाव और नियमों से की जाए तो। गायत्री उपासना में भी भुवनेश्वरी जी का भाव है और इसी कारण इनकी उपासना करने का एक विशेष महत्व है।

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