इस वर्ष कार्तिक माह में दीपावली के बाद शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 36 मिनट से 15 नवंबर को 1 बजकर 47 मिनट तक है. उदया तिथि के अनुसार भाई दूज 14 नवंबर को मनाई जाएगी. हिंदू कैलेंडर में कार्तिक मास खास माना जाता है। इस मास में दिवाली, छठ पूजा जैसे त्योहार व पर्व आते हैं। इसी महीने में भाई दूज भी मनाया जाता है। भाई दूज को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसका एक और नाम यम द्वितीया भी है। इसी दिन चित्रगुप्त पूजा भी होती है। यहां देखें भाई दूज 2023 में कब है, भाई दूज 2023 की डेट और
कब है भाई दूज तथा तिलक का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष कार्तिक माह में दीपावली के बाद शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 36 मिनट से 15 नवंबर को 1 बजकर 47 मिनट तक है. उदया तिथि के अनुसार भाई दूज 14 नवंबर को मनाई जाएगी.
कैसे मनाया जाता है भाई दूज
भाई दूज के दिन बहनें भाई को तिलक लगाती हैं. तिलक लगाते समय भाई का मुख उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए. इस दिन रोली की जगह अष्टगंध से भाई को तिलक करना चाहिए. बहनों को शाम को दक्षिण मुखी दीप जलाना चाहिए. इसे भाई के लिए शुभ माना जाता है. इस दिन कमल की पूजा और नदी स्नान विशेष रूप से यमुना स्नान का भी विधान है.
बनाएं भाई दूज स्पेशल लड्डू
भाई दूज के दिन प्यारे भाई का मुंह मीठा करने के लिए बाजार से मिठाई लाने के बजाए घर में भाई दूज स्पेशल लड्डू बनाएं.
सामग्री-
- बेसन
- चीनी
- घी
- बादाम
- पिस्ता
विधि
- सबसे पहले बेसन को मोटे तले वाली कड़ाही में भून लें.
- भुने बेसन को एक बर्तन में निकाल लें.
- ठंडा होने पर बेसन में पिसी हुई चीनी और इलायची पाउडर मिलाएं और लड्डू का आकार दें
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Bhai Dooj कैसे मनाया जाता है
इस दिन बहनें अपने भाइयों को पीढ़े पर बैठाकर उनको तिलक लगाती हैं और उनकी आरती करती हैं। फिर उनको उनकी पसंद का खाना बनाकर खिलाती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया को ही यमुना जी ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। इस पूजा व विधि से यमलोक के राज्य को सुख प्राप्ति हुई थी। मान्यता है कि तभी से इस त्योहार को मनाने की परंपरा चल रही है।
Bhai Dooj Names in Hindi
भाई दूज को यम द्वितीया, भाऊ बीज, भातृ द्वितीया, भाई द्वितीया और भातरु द्वितीया भी कहा जाता है। दिवाली के पांच दिन के पर्व भाई दूज पर आकर खत्म होते हैं। इसी दिन चित्रगुप्त भगवान की पूजा भी की जाती है।