Bajrang Ki Kainchi:बजरंग की कैंची: यह भी एक चमत्कारी प्रयोग है जो तंत्र और मुसलमानों दोनों को आसानी से काट सकता है, इसमें कोई खतरा नहीं है। बजरंग की कैंची साधना 21 दिन की होती है, अगर आप खुद नहीं कर सकते तो किसी योग्य साधक से भी करवा सकते हैं।
इस विद्या से तैयार नींबू को जहां लटकाया जाएगा, वहां किसी भी तरह का भय, भूत-प्रेत नहीं रहेगा। Bajrang Ki Kainchi दुकान में लटकाने से घर में सुख-शांति बनी रहेगी। 3, 5 या 7 बार अभ्यस्त जल छिड़कने के बाद व्यक्ति के नाम का तिलक लगाकर लौंग छिड़ककर खिला दें, उसकी भूत-प्रेत शक्ति नष्ट हो जाएगी।
कुछ लोग पिशाच गतिविधियों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं, उन्हें सुरक्षा उपाय अवश्य अपनाने चाहिए अन्यथा उनका जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो जाएगा और उनकी जान भी जा सकती है। Bajrang Ki Kainchi बजरंग की कैंची उनके पारिवारिक जीवन को प्रभावित करेगी और परिवार के सदस्यों में कलह होगी। उनका रूप डरावना होगा और लोग उन्हें पहचान भी नहीं पाएंगे।
बजरंग की कैंची एक ऐसा स्तोत्र है जो व्यक्ति को भूत-प्रेत, पिशाच प्रभाव और कई अन्य अप्रत्याशित समस्याओं से बचाता है, जब इसे नियम और कायदे के अनुसार जपते हैं। Bajrang Ki Kainchi यह आत्मविश्वास की कमी और शारीरिक समस्याओं से राहत देता है। यह भी कहा जाता है कि जब साधक पर कोई बुरा प्रभाव पड़ता है तो उसके ऊपर एक कवच बन जाता है।
जिन लोगों को बुरे सपने आते हैं और किसी भी तरह का अप्राकृतिक वातावरण होता है, Bajrang Ki Kainchi वे बजरंग की कैंची का पाठ करके अपनी रक्षा कर सकते हैं। यह एक सिद्ध प्रणाली है, लेकिन बजरंग की कैंची करने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
बजरंग की कैंची के लाभ
Bajrang Ki Kainchi व्यक्ति सभी अप्राकृतिक प्रभावों से मुक्त हो जाता है।
उस पर कोई जादू-टोना नहीं किया जा सकता।
दुश्मनों को अच्छी तरह से दंडित किया जाता है।
काले जादू का कोई प्रभाव नहीं होता।
इससे शत्रुओं का पर्दाफाश हो जाता है और साधक उनका ख्याल रख सकता है।
कौन करे बजरंग की कैंची का पाठ
Bajrang Ki Kainchi भूत-प्रेत, जादू-टोना या अन्य पिशाच प्रभाव से प्रभावित व्यक्ति, जो बीमार हो रहा हो, व्यापार में नुकसान हो रहा हो, नौकरी छूट रही हो या आर्थिक संकट हो रहा हो, उन्हें बजरंग की कैंची का पाठ किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करना चाहिए, ताकि सफलता मिले।
बजरंग की कैंची/Bajrang ki Kainchi
पाठ विधिः- हनुमान जी का पूजन कर नित्य 108 निम्न स्तोत्र का पाठ 21 दिन करें, 21वें दिन हनुमान् जी को सिन्दूर, लंगोट, सवा सेर का रोट, नारियल अर्पित करें।
लाभः इस विद्या से अभिमन्त्रित नींबू जहाँ लटका दिया जाएगा, वहाँ किसी भी प्रकार का अभिचार, भूत-प्रेतादि नहीं ठहर सकते। दुकान में लटकाने से धन्धा अच्छा चलेगा। भूत-प्रेत लगे व्यक्ति को 3, 5 या 7 बार अभिमन्त्रित जल छिड़कने से व्यक्ति के नाम से मन्त्र पढ़कर लवंग अभिमन्त्रित कर उसे खिला दें, तो उसकी विद्या नष्ट हो जाती है।
“फजले बिस्मिल्ला रहमान, अटल खुरजी तेज खुरान ।
घड़ी-घड़ी में निकलै बान । लालो लाल कमान, राखवाले की जबान ।
खाक माता खाक पिता । त्रिलोकी की मिसैली । राजा – प्रजा पड़ै मोहिनी ।
जल देखै, थल कतरै । राजा इन्द्र की आसन कतरै । तलवार की धार कतरै ।
आकाश पाताल, वायु – मण्डल को कतरै । तेंतीस कोटि देवी- देवताओं को कतरै ।
शिव – शंकर को कतरै । भीमसेन की गदा कतरै । अर्जुन को बाण कतरै ।
कृष्ण को सुदर्शन कतरै । सोला हंसा को कतरै । पेट में के बावरे को कतरै ।
दौलतपुर के डोमा को कतरै । ब्राह्मण के ब्रहम-राक्षस को कतरै ।
धोबी के जिन को कतरै । भंगी के जिन को कतरै ।
रमाने के जिन को कतरै । मसान के जिन को कतरै ।
मेरे नरसिंह से कतरै । गुरु के नरसिंह से कतरै । बौलातन चुड़ैल को कतरै ।
जहाँ खुरी नौ खण्ड, बारह बंगाले की विद्या जा पहुँचे । अञ्जनी के पूत हनुमान !
तोहे एक लाख अस्सी हजार पीर-पैगम्बरों की दुहाई, दुहाई, दुहाई ।”
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