Bagla Panjar Nyaas Stotra

Bagla Panjar Nyaas Stotra:बगला पंजर न्यास स्तोत्र: यह अत्यंत गोपनीय और रहस्यमयी स्तोत्र अत्यंत दुर्लभ और परखा हुआ है। बगला पंजर स्तोत्र का जाप करने या जपने वाले साधक को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। घोर दरिद्रता और संकट के नाश के इस स्तोत्र का पाठ करने वाले साधक की माता शत्रु दल को शांत रखती हैं।

यह देवी बगलामुखी का अत्यंत गुप्त, रहस्यमय और दुर्लभ स्तोत्र है जिसे बगला पंजर न्यास स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। यह कई बार सिद्ध हो चुका है कि इसने कई लोगों को अपने जीवन में सफलता पाने में मदद की है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करता है माँ बगलामुखी स्वयं उसकी रक्षा करती हैं। Bagla Panjar Nyaas Stotra बगला पंजर न्यास स्तोत्र जीवन में धन, स्वास्थ्य और समग्र सुख प्रदान करने वाला है।

देवी का हृदय किसी भी देवता से संबंधित होता है। यह स्तोत्र भगवती बगलामुखी से संबंधित है। इस पाठ का उद्देश्य या तो बस उनके हृदय में बैठना या उन्हें अपने हृदय में बसाना है। उनके हृदय में वास करना तो मात्र स्वप्न है, क्योंकि इसके लिए परम शक्ति को भी आमंत्रित किया जाता है। हां, हमारी भक्ति के प्रसाद के रूप में यह फल अवश्य मिलता है कि ये आस्थाएं हमारे हृदय में उतर जाएं और वास्तव में यही जीवन का लक्ष्य है, तभी हमारा उद्धार संभव है।

Bagla Panjar Nyaas Stotra

यह स्तोत्र माता का हृदय माना जाता है। इस स्तोत्र का अनुयायी इस संसार में जो कुछ भी देखता है, उसे प्राप्त कर लेता है। बगला पंजर न्यास स्तोत्र देवी बगलामुखी/पीताम्बरा से संबंधित है। इस स्तोत्र का उद्देश्य माता बगलामुखी के निकट जाना है।

Bagla Panjar Nyaas Stotra:बगल पंजर न्यास स्तोत्र के लाभ

साधक अपने इष्ट देव को चुनता है, तथा निरंतर उनका भजन-कीर्तन करता है, तो वे उन सभी सांसारिक कार्यों का भार उठा लेते हैं, तथा परम मोक्ष प्रदान करते हैं। यदि आप उन्हें संतान की तरह प्यार करते हैं, तो वे आपकी इच्छाओं को उसी प्रकार पूर्ण करते हैं, जिस प्रकार वे मां के समान हैं।
साधक को कभी भी किसी अप्रिय घटना का भय नहीं माना जाता है। ऐसे साधक के सभी सांसारिक और असाधारण कार्य स्वयं सिद्ध होने लगते हैं, उनकी कोई भी इच्छा अधूरी नहीं रहती।

Bagla Panjar Nyaas Stotra:किसको करना चाहिए यह स्तोत्र का पाठ

जादू-टोना, काला जादू, ग्रहों के दुष्प्रभाव या व्यक्तिगत दुश्मनी से प्रभावित और किसी भी काम में सफल न होने वाले व्यक्तियों को नियमित रूप से स्तोत्र का जाप करना चाहिए।

बगला पूर्वतो रक्षेद् आग्नेय्यां च गदाधरी। पीताम्बरा दक्षिणे च स्तम्भिनी चैव नैऋते ।।1।।

जिह्वाकीलिन्यतो रक्षेत् पश्चिमे सर्वदा हि माम्। वायव्ये च मदोन्मत्ता कौवेर्यां च त्रिशूलिनी ।।2।।

ब्रह्मास्त्रदेवता पातु ऐशान्यां सततं मम। संरक्षेन् मां तु सततं पाताले स्तब्धमातृका ।।3।।

ऊर्ध्वं रक्षेन् महादेवी जिह्वा-स्तम्भन-कारिणी। एवं दश दिशो रक्षेद् बगला सर्व-सिद्धिदा ।।4।।

एवं न्यास-विधिं कृत्वा यत् किञ्चिज्जपमाचरेत्। तस्याः संस्मरेणादेव शत्रूणां स्तम्भनं भवेत् ।।5।।

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