KARMASU

Apara Ekadashi:भगवान विष्णु की महिमा निराली है। भगवान विष्णु अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से भक्तजनों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। उनकी कृपा से धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। एकादशी तिथि (Apara Ekadashi 2025 Date) पर पूजा-पाठ के बाद दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

Apara Ekadashi Kab hai:अपरा एकादशी का सनातन धर्म में खास महत्व है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन साधक जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। साथ ही लक्ष्मी नारायण जी के निमित्त एकादशी का व्रत रखते हैं।

सनातन शास्त्रों में निहित है कि अपरा एकादशी व्रत करने से साधक द्वारा जन्म-जन्मांतर में किए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है। आइए, अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2025 Date) के बारे में सबकुछ जानते हैं-

अपरा एकादशी कब है? Apara Ekadashi 2025 date

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर अपरा एकादशी का व्रत रखा जाता है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 मई को देर रात 1 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 23 मई को रात 10 बजकर 29 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा.

अपरा एकादशी की पूजा विधि | Apara Ekadashi ki Puja Vidhi

दशमी तिथि की रात्रि में सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें. एकादशी के दिन प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता है. स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें. चंदन, फूल, धूप और दीप जलाकर उनकी पूजा करें. तुलसी दल अवश्य अर्पित करें. भगवान विष्णु को फल, मिठाई और तुलसी डालकर भोग लगाएं.

भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी होता है. अपरा एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें. भगवान विष्णु की आरती गाएं. अपनी क्षमतानुसार गरीबों को वस्त्र, भोजन या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें. द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद व्रत खोलें.

अपरा एकादशी पारण (Apara Ekadashi Paran Timing)

साधक 24 मई को पारण कर सकते हैं। 24 मई को पारण सुबह 05 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 08 बजकर 11 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं। इस दौरान साधक स्नान-ध्यान कर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के बाद अन्न और धन का दान कर व्रत खोलें।

अपरा एकादशी शुभ योग (Apara Ekadashi Shubh Muhurat)

ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि पर प्रीति और आयुष्मान का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बनेगा। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। 

Paush Putrada Ekadashi 2025 Date And Time: कब है पौष पुत्रदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और संतान प्राप्ति की विशेष पूजा विधि Putrada Ekadashi

Paush Putrada Ekadashi 2025 Date And Time: कब है पौष पुत्रदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और संतान प्राप्ति की विशेष पूजा विधि

Paush Putrada Ekadashi 2025 Mein Kab Hai: सनातन धर्म में पौष माह (Paush Month) को अत्यंत शुभ माना गया है,…

Saphala Ekadashi: सफला एकादशी के दिन करवाएं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम Saphala Ekadashi

Saphala Ekadashi: सफला एकादशी के दिन करवाएं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

Saphala Ekadashi: सफला एकादशी पर विष्णु सहस्त्रनाम पाठ करवाएं बन जाएंगे रुके हुए काम, जीवन में आएगी स्थिरता और सौभाग्य क्या आपके…

Saphala Ekadashi 2025 Vrat Niyam: सफला एकादशी पर क्या करें और क्या न करें, ताकि श्रीहरि की कृपा बनी रहे ? Saphala Ekadashi

Saphala Ekadashi 2025 Vrat Niyam: सफला एकादशी पर क्या करें और क्या न करें, ताकि श्रीहरि की कृपा बनी रहे ?

Saphala Ekadashi 2025: एकादशी तिथि जगत के पालनहार, भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को अत्यंत प्रिय होती है। पंचांग के अनुसार,…

पंचांग

सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 26 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 10 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 04 मिनट से 04 बजकर 45 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 35 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 29 मिनट तक

निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक

अपरा एकादशी का महत्व | Apara Ekadashi Significance

अपरा एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है, जो गंगा स्नान, स्वर्ण दान, भूमि दान और गौ दान के समान है. धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मान-सम्मान और यश बढ़ता है. मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *