Annapurna Vrat:मां अन्नपूर्णा माता का महाव्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष पंचमी से प्रारम्भ होता है और मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी को समाप्त होता है। यह उत्तमोत्तम व्रत सत्रह दिनों तक चलने वाला व्रत है। व्रत के प्रारंभ के साथ भक्त 17 गांठों वाले धागे का धारण करते हैं। इस अति कठोर महाव्रत में व्रती 17 दिन तक अन्न का त्याग करते हैं। फलाहार भी एक ही वक्त किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 6 दिसंबर 2024, शुक्रवार को पड़ रहा है।

Annapurna Vrat:कई भक्त इस व्रत को 21 दिन तक भी पालन करते हैं, इस मान्यता के अनुसार व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण प्रतिपदा से प्रारंभ होकर मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी को समापन होता है।


Annapurna Vrat:मां अन्नपूर्णा माता का व्रत करने का पूजन विधि
❀ अन्नपूर्णा माता के व्रत के दिनों प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
❀ इस प्रकर से सोलह दिन तक माता अन्नपूर्णा की कथा का श्रवण करें व डोरे का पूजन करें। फिर जब सत्रहवाँ दिन आये (मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी) को व्रत करनेवाला सफेद वस्त्र और स्त्री लाल वस्त्र धारण करें। रात्रि में पूजास्थल में जाकर धान के पौधों से एक कल्पवृक्ष बनाकर स्थापित करें और उस वृक्ष के नीचे भगवती अन्नपूर्णा की दिव्य मूर्ति स्थापित करें।

❀ पूरे घर और रसोई, चूल्हे की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
❀ खाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल पुष्प अर्पित करें। धूप दीप प्रज्वलित करें।
❀ इसके साथ ही माता पार्वती और शिव जी की पूजा करें। माता पार्वती ही अन्नपूर्णा हैं।
❀ विधिवत् पूजा करने के बाद माता से प्रार्थना करें कि हमारे घर में हमेशा अन्न के भंडारे भरे रहें मां अन्नपूर्णा हमपर और पूरे परिवार एवं समस्त प्राणियों पर अपनी कृपा बनाए रखें।
❀ इन् दिनों मैं अन्न का दान करें जरूरतमंदो को भोजन करवाएं।


Annapurna Vrat:इस व्रत में अगर व्रत न कर सकें तो एक समय भोजन करके भी व्रत का पालन किया जा सकता है। इस व्रत में सुबह घी का दीपक जला कर माता अन्नपूर्णा की कथा पढ़ें और भोग लगाएं ।

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे ।
ज्ञान वैराग्य सिध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति ॥
माता च पार्वति देवी पिता देवो महेश्वरः ।
बान्धवा शिव भक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥

Annapurna Vrat:व्रत के दिनों में आहार
व्रती को निम्न खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये- मूँग की दाल,चावल, जौ का आटा,अरवी, केला, आलू, कन्दा,मूँग दाल का हलवा । इस व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिये।

  1. स्नान करके साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
  2. अन्नपूर्णा माता की मूर्ति या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।
  3. गंगाजल, रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
  4. माता अन्नपूर्णा के मंत्रों का जाप करें:
    • ॐ अन्नपूर्णायै नमः
  5. भक्तिपूर्वक कथा सुनें और प्रसाद वितरित करें।
  6. इस दिन जरूरतमंदों को भोजन और अनाज का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • इस व्रत से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  • यह व्रत करने से भूख से संबंधित किसी भी समस्या से छुटकारा मिलता है।
  • व्रतकर्ता को मां अन्नपूर्णा की कृपा से सभी प्रकार की धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

क्या आप इस व्रत की कथा या अन्य जानकारी भी चाहते हैं?

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