Angaraka Stotram:श्री अंगारक स्तोत्रम् हिंदी (Angaraka Stotram) एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है इसका नित्य पाठ करने से जातक की जन्मकुंडली में मंगल दोष या मांगलिक दोष भी दूर हो जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता का नाश व कर्ज से भी छुटकारा मिलता है और धन समृधि का आगमन होने लगता है। अंगारक स्तोत्रम् का पाठ करने से जातक की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है

Angaraka Stotram:श्री अंगारक स्तोत्रम् भगवान मंगलदेव (अंगारक) को समर्पित एक स्तोत्र है, जो उनकी कृपा प्राप्त करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए पढ़ा जाता है। मंगल ग्रह का हिंदू ज्योतिष में विशेष महत्व है, और यह स्तोत्र उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी है जो मंगल दोष से प्रभावित हैं या जिनके जीवन में संघर्ष, रोग, या अन्य समस्याएं चल रही हैं।

Angaraka Stotram:श्री अंगारक स्तोत्रम् का पाठ विधि

Angaraka Stotram kab karna chahiye:कब करना चाहिए?

  • मंगलवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है।
  • इसे सुबह के समय, मंगल होरा (मंगल की विशेष अवधि), या किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है।

Angaraka Stotram kese kare:कैसे करें?

  1. स्नान और शुद्धिकरण:
    • सुबह स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।
    • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान मंगलदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  2. पूजन सामग्री:
    • लाल फूल, गुड़ और लाल चंदन।
    • गुड़ से बने मिठाई का भोग लगाएं।
  3. मंत्र और ध्यान:
    • “ॐ अंगारकाय नमः” का 11 बार जप करें।
    • इसके बाद श्री अंगारक स्तोत्रम् का पाठ करें।

अंगारकः शक्तिधरो लोहितांगो धरासुतः।

कुमारो मंगलो भौमो महाकायो धनप्रदः ॥१॥

ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृत् रोगनाशनः।

विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥२॥

सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।

लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः ॥३॥

रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।

नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत् सततं नरः॥४॥

ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।

धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥५॥

वंशोद्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः, योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः।

सर्वं नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ॥६॥

Angaraka Stotram

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