अहोई अष्टमी:धराधरेन्द्र नन्दिनी शशंक मालि संगिनी, सुरेश शक्ति वर्धिनी नितान्तकान्त कामिनी।

निशाचरेन्द्र मर्दिनी त्रिशूल शूल धारिणी, मनोव्यथा विदारिणी शिव तनोतु पार्वती ।

भुजंग तल्प शामिनी महोग्रकान्त भागिनी, प्रकाश पुंज दायिनी विचित्र चित्र कारिणी।

प्रचण्ड शत्रुधर्षिणी दया प्रवाह वर्षिणी, सदा सुभग्य दायिनी शिव तनोतु पार्वती। ।

प्रकृष्ट सृष्टि कारिका प्रचण्ड नृत्य नर्तिका , पिनाक पाणिधारिका गिरिश ऋग मालिका।

समस्त भक्त पालिका पीयूष पूर्ण वर्षिका, कुभाग्य रेखमर्जिका शिव तनोतु पार्वती ।

तपश्चरी कुमारिका जगत्परा प्रहेलिका, विशुद्ध भाव साधिका सुधा सरित्प्रवाहिका।

प्रयत्न पक्ष पौसिका सदार्धि भाव तोषिका, शनि ग्रहादि तर्जिका शिव तनोतु पार्वती ।

शुभंकरी शिवंकरी विभाकरी निशाचरी, नभश्चरी धराचरी समस्त सृष्टि संचरी ।

तमोहरी मनोहरी मृगांक मालि सुन्दरी, सदोगताप संचरी,शिवं तनोतु पार्वती।।

पार्वती पंचक नित्यमधीयते यत कुमारिका, दृष्कृतं निखिलं हत्वा वरं प्रप्नोति सुन्दरम।।

अहोई अष्टमी :पार्वती पंचक स्तोत्र: देवी पार्वती की स्तुति

पार्वती पंचक स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो देवी पार्वती की स्तुति करता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए लाभदायक माना जाता है जो विवाह योग्य हैं या सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। यह स्तोत्र देवी पार्वती से सुंदर वर प्राप्त करने और दाम्पत्य जीवन में सुख-शांति लाने के लिए मांगा जाता है।

अहोई अष्टमी:स्तोत्र का महत्व

  • विवाह योग: यह स्तोत्र विवाह योग को मजबूत करने और विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक माना जाता है।
  • सुखी वैवाहिक जीवन: यह स्तोत्र सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद प्रदान करता है।
  • मनोकामना पूर्ण: यह स्तोत्र मनोकामनाओं को पूर्ण करने में भी सहायक होता है।
  • देवी पार्वती की कृपा: इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से देवी पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

अहोई अष्टमी :स्तोत्र का पाठ

पार्वती पंचक स्तोत्र का पाठ संस्कृत में होता है। आप इस स्तोत्र का पाठ किसी अनुभवी ब्राह्मण से करवा सकते हैं या स्वयं भी कर सकते हैं। स्तोत्र का अर्थ समझने के लिए आप हिंदी अनुवाद भी देख सकते हैं।

अहोई अष्टमी:यहाँ स्तोत्र का एक अंश दिया गया है:

धराधरेन्द्र नन्दिनी शशंक मालि संगिनी, सुरेश शक्ति वर्धिनी नितान्तकान्त कामिनी। निशाचरेन्द्र मर्दिनी त्रिशूल शूल धारिणी, मनोव्यथा विदारिणी शिव तनोतु पार्वती ।

अर्थ:

धरती के स्वामी शंकर की पत्नी, चंद्रमा के साथ विहार करने वाली, देवों की शक्ति को बढ़ाने वाली, अत्यंत मनोहारी और कामना पूर्ण करने वाली, राक्षसों के चंद्रमा का नाश करने वाली, त्रिशूल धारण करने वाली, मन के दुःखों को दूर करने वाली, शिवजी पार्वती को प्रदान करें।

अहोई अष्टमी:स्तोत्र का जाप कैसे करें

  • शुद्ध मन से: स्तोत्र का जाप करते समय मन को शुद्ध रखें।
  • नियमित रूप से: स्तोत्र का जाप नियमित रूप से करें।
  • एकांत में: स्तोत्र का जाप एकांत में करें।
  • पूजा के समय: स्तोत्र का जाप पूजा के समय करें।

अहोई अष्टमी:स्तोत्र के लाभ

पार्वती पंचक स्तोत्र का नियमित जाप करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे कि:

  • विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण
  • सुखी वैवाहिक जीवन
  • मनोकामना पूर्ण
  • देवी पार्वती की कृपा
  • शांति और सुख

यदि आप पार्वती पंचक स्तोत्र का पाठ करना चाहते हैं, तो आप किसी अनुभवी ब्राह्मण से संपर्क कर सकते हैं या फिर इंटरनेट पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं।

अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले किसी विद्वान से सलाह लेना उचित होता है।

क्या आप पार्वती पंचक स्तोत्र के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं?

यदि आप स्तोत्र का पूरा पाठ, इसका हिंदी अनुवाद, या इसके जाप के तरीके के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो कृपया मुझे बताएं।

आप यह भी पूछ सकते हैं:

  • पार्वती पंचक स्तोत्र का कौन सा मंत्र सबसे अधिक प्रभावशाली है?
  • पार्वती पंचक स्तोत्र का जाप किस दिन करना चाहिए?
  • पार्वती पंचक स्तोत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

मुझे आपकी मदद करने में खुशी होगी।

अहोई अष्टमी

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