योगिनी एकादशी : ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति का व्रत
योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एकादशी सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और ज्ञान, मोक्ष और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष तिथि के दिन योगिनी एकादशी मनाई जाती है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त जन उनकी विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. योगिनी एकादशी को लेकर यह भी मान्यता है कि योगिनी एकादशी का विधि विधान के साथ व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. योगिनी एकादशी व्रत के कुछ नियम होते हैं. इस व्रत के को करने वाले व्यक्ति को कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है
कब है योगिनी एकादशी 2024?
इस वर्ष आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई की सुबह 10 बजकर 26 मिनट से आरंभ होगी और इसका समापन अगले दिन 2 जुलाई की सुबह 8 बजकर 34 पर होगा. इसलिए उदयातिथि के अनुसार, इस वर्ष योगिनी एकादशी 2 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी और इसका व्रत भी 2 जुलाई को रखा जाएगा.
2024 में योगिनी एकादशी 2 जुलाई, मंगलवार को रखी जाएगी।
योगिनी एकादशी का महत्व:
- योगिनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है।
- इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और ज्ञान, मोक्ष और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
- इस व्रत को करने से कठिन ग्रहों का दोष दूर होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
- यह व्रत निःसंतान दंपतियों के लिए भी बहुत फलदायी होता है।
योगिनी एकादशी व्रत की विधि:
- योगिनी एकादशी व्रत के एक दिन पहले दशमी तिथि को स्नान करके सभी इंद्रियों को नियंत्रित करना चाहिए।
- एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें और उनकी पूजा करें।
- पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य और फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- एकादशी के दिन नमक, अन्न और मसूर का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन केवल फल, फलाहार और जल का सेवन करना चाहिए।
- रात में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन कीर्तन करें।
- द्वादशी तिथि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर फिर से स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें।
- इसके बाद आप भी व्रत का पारण कर सकते हैं।
योगिनी एकादशी की कथा– योगिनी एकादशी की कथा: YOGINI EKADASHI KI KATHA