Kurma Dwadashi 2024: पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कूर्म द्वादशी (Kurma Dwadashi ) के नाम से जाना जाता है. कूर्म द्वादशी भगवान् विष्णु के ‘कूर्म’ अथवा ‘कच्छप’ अवतार को समर्पित है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा के साथ विधि-विधान से व्रत करने वाले मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
कूर्म अवतार की कथा (Kurma Dwadashi Katha)
हिन्दू धर्म में, भगवान विष्णु के दशावतारों में दूसरा अवतार कूर्म अवतार है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने एक विशाल कछुए का रूप धारण किया था।
कथा के अनुसार, एक समय देवता और असुरों में युद्ध छिड़ गया। युद्ध में असुरों को परास्त करने के लिए देवताओं को अमृत की आवश्यकता थी। अमृत पाने के लिए देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीरसागर का मंथन करने का निर्णय लिया।
क्षीरसागर मंथन के लिए देवताओं ने मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को रस्सी बनाया। लेकिन मंदराचल पर्वत इतना भारी था कि वह डूबने लगा। तब भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण कर मंदराचल पर्वत को अपने कवच पर रख लिया। इस प्रकार देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीरसागर का मंथन किया।
क्षीरसागर मंथन से चौदह रत्न निकले। इनमें से एक रत्न अमृत था। अमृत को पाने के लिए देवता और असुरों में फिर से युद्ध छिड़ गया। इस बार देवताओं ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत को देवताओं के पक्ष में कर लिया।
अमृत प्राप्त करके देवताओं ने असुरों को परास्त कर दिया। इस प्रकार कूर्म अवतार के कारण देवताओं को अमृत प्राप्त हुआ और धर्म की रक्षा हुई।
कूर्म द्वादशी का महत्व (Kurma Dwadashi Importance)
कूर्म द्वादशी का व्रत पूरी निष्ठा और सच्चे मन से करने वाले मनुष्य के सभी पाप दूर हो जाते हैं और उसे समस्त अपराधों के दंड से भी मुक्ति मिल जाती है. साथ ही कूर्म द्वादशी के व्रत से अर्जित होने वाले पुण्य के फलस्वरूप मनुष्य संसार के समस्त सुख भोगकर अंत में मोक्ष प्राप्त करता है.
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कूर्म द्वादशी पर घर में कछुआ लाने का फायदा
कूर्म द्वादशी (Kurma Dwadashi) के दिन घर में कछुआ लाने का भी महत्व बताया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
कछुए को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कछुआ अपने कवच के अंदर धन को सुरक्षित रखता है। इसलिए, घर में कछुआ रखने से घर में धन की वृद्धि होती है और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
इसके अलावा, कछुआ को धैर्य और स्थिरता का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए, घर में कछुआ रखने से व्यक्ति को धैर्य और स्थिरता प्राप्त होती है। इससे व्यक्ति के जीवन में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
कूर्म द्वादशी व्रत व पूजन विधि (Kurma Dwadashi Pujan Vidhi)
कूर्म द्वादशी को ध्यान से और श्रद्धाभाव से मनाने के लिए निम्नलिखित पूजा विधि का पालन किया जा सकता है:
पूजा सामग्री:
भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र कुमकुम, चंदन, रोली
दीपक और कुंडल फूल, अक्षत (रावण) और धूप
तुलसी के पत्ते पंचामृत (दही, घृत, तैल, शहद, दूध)
पूजा विधि:
शुद्धि करना: पूजा करने से पहले हाथ धोकर शुद्धि करें।
व्रत की संकल्प: सामग्री को सामने रखकर व्रत की संकल्प करें।
भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को साफ करें।
कुमकुम, चंदन, रोली से उनके चिन्हों को लगाएं।
तुलसी के पत्ते और फूलों का अर्पण करें।
पंचामृत से अभिषेक करें।
धूप और दीप पूजन: दूप और दीप से आरती अर्पित करें।
धूप से कमल गेंद में आरती उतारें।
कथा का पाठ: कूर्म अवतार की कथा को श्रवण करें या पढ़ें।
प्रार्थना और आराधना: भगवान के सामने मन की शुद्धि और आत्मनिवेदन से प्रार्थना करें।
मन्त्र जाप और ध्यान में रत रहें।
प्रसाद वितरण: पूजा का प्रसाद तैयार करें और उसे भगवान को अर्पित करें।
व्रत का उपवास:व्रत के दिन उपवास का पालन करें और भगवान की पूजा में लगे रहें।
इस पूजा विधि का पालन करके भक्त अपने दिल से भगवान विष्णु की पूजा कर सकता है और उनकी कृपा को प्राप्त कर सकता है।