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  • Create Date November 17, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीलीलात्रिभंगैस्तोत्रम एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के बाल लीलाओं की स्तुति करता है। इस स्तोत्र में भगवान कृष्ण को एक बालक के रूप में वर्णित किया गया है, जो अपनी लीलाओं से सभी को मोहित कर लेते हैं।

श्रीलीलात्रिभंगैस्तोत्रम के छंद निम्नलिखित हैं:

shreelalitatribhangeestotram

  1. वटवृक्षशाखावलम्बितमन्दोदरीमण्डित वृन्दावनकाननमध्यस्थां

  2. क्रीडन्तीं बालकृष्णं मुरारेरिन्द्रानन्दिनी ललितासुन्दरीसहितां

  3. दर्शित्वा त्रिभंगमुद्रां मुखमण्डलमुदयन्तीं हर्षाकुलं भवतां भवनं

  4. दर्शनेनैव शुभेन्दुवदनान्यवलोक्य च सर्वमंगलं भविष्यति

श्रीलीलात्रिभंगैस्तोत्रम का अर्थ निम्नलिखित है:

  1. वटवृक्ष की शाखाओं पर चढ़े हुए, मनमोहक रूप वाली, वृंदावन के वन में स्थित

  2. क्रीड़ती हुई, भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा को देखकर

  3. त्रिभंग मुद्रा दिखाते हुए, उनके चेहरे पर मुस्कान आ रही है

  4. उनकी दृष्टि से, हे भगवान, आपका घर खुशी से भर जाएगा

  5. उनकी दृष्टि से, हे भगवान, आप सभी को देखकर आनंद आएगा

  6. उनकी दृष्टि से, हे भगवान, सभी शुभ कार्य सफल होंगे

श्रीलीलात्रिभंगैस्तोत्रम एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

इस स्तोत्र में, भगवान कृष्ण को एक बालक के रूप में वर्णित किया गया है, जो अपनी लीलाओं से सभी को मोहित कर लेते हैं। उनका चेहरा हमेशा मुस्कुराता हुआ रहता है, और उनकी दृष्टि से सभी को आनंद आता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से मन को शांति और प्रसन्नता मिलती है।


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