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- Create Date November 2, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Vishwanathashtakstotram
विश्वनाथाष्टकस्तोत्रं एक स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव के 8 नामों का वर्णन करता है, जो इस प्रकार हैं:
- गंगाधर
- गौरकान्ति
- शूलपाणि
- नीलकंठ
- शंभु
- रुद्र
- महादेव
- त्रिलोकनाथ
विश्वनाथाष्टकस्तोत्रं में 8 श्लोक हैं। इन श्लोकों में भगवान शिव की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन किया गया है:
- वे गंगाधर हैं, जो गंगा नदी को अपनी जटाओं में धारण करते हैं।
- वे गौरकान्ति हैं, जिनका शरीर गौरी के समान श्वेत है।
- वे शूलपाणि हैं, जो अपने हाथ में शूल धारण करते हैं।
- वे नीलकंठ हैं, जिनका कंठ नीले रंग का है।
- वे शंभु हैं, जो विष्णु और ब्रह्मा के स्वामी हैं।
- वे रुद्र हैं, जो संहारकर्ता हैं।
- वे महादेव हैं, जो देवताओं के स्वामी हैं।
- वे त्रिलोकनाथ हैं, जो तीनों लोकों के स्वामी हैं।
Vishwanathashtakstotram
विश्वनाथाष्टकस्तोत्रं का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।
विश्वनाथाष्टकस्तोत्रं का पाठ करने का तरीका निम्नलिखित है:
- सबसे पहले किसी पवित्र स्थान पर बैठ जाएं।
- फिर, हाथ में जल लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।
- इसके बाद, स्तोत्र का पाठ करें। प्रत्येक श्लोक का पाठ 108 बार करें। स्तोत्र का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।
विश्वनाथाष्टकस्तोत्रं के कुछ श्लोक इस प्रकार हैं:
श्लोक 1:
गंगाधरं गौरकान्तिं शूलपाणिं नीलकंठं शंभु रुद्रं महादेवं त्रिलोकनाथं नमामि।
अर्थ:
मैं गंगाधर, गौरकान्ति, शूलपाणि, नीलकंठ, शंभु, रुद्र, महादेव और त्रिलोकनाथ भगवान शिव को प्रणाम करता हूं।
श्लोक 2:
सर्वेश्वरं सर्वज्ञं सर्वशक्तिमानं हरिं सर्वदुःखहरं देवं विश्वनाथं नमामि।
अर्थ:
मैं सर्वेश्वर, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, हरि और सर्वदुःखहर देव भगवान विश्वनाथ को प्रणाम करता हूं।
श्लोक 3:
भक्तवत्सलं भक्तहृदयं भक्तकल्याणं हरिं भक्तानुग्रहकरं देवं विश्वनाथं नमामि।
अर्थ:
मैं भक्तवत्सल, भक्तहृदय, भक्तकल्याणकारी और भक्तानुग्रहकारी देव भगवान विश्वनाथ को प्रणाम करता हूं।
विश्वनाथाष्टकस्तोत्रं एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत प्रभावी है।
ब्रह्मसूत्र Brahmasutra
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