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  • Create Date October 25, 2023
  • Last Updated October 25, 2023

द्वादशमूर्तिस्तुति 2 एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के बारह रूपों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र दो श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में छह रूपों का वर्णन है।

स्तोत्र का पहला श्लोक भगवान शिव के छह दक्षिणपंथी रूपों का वर्णन करता है:

1. गणेश - भगवान शिव और पार्वती के पुत्र, बुद्धि और ज्ञान के देवता। 2. कार्तिकेय - भगवान शिव और पार्वती के पुत्र, युद्ध और वीरता के देवता। 3. स्कंद - भगवान शिव के पुत्र, युद्ध और वीरता के देवता। 4. भैरव - भगवान शिव के भैरव रूप, जो भगवान शिव के क्रोध और विनाश के प्रतीक हैं। 5. वीरभद्र - भगवान शिव के वीरभद्र रूप, जो भगवान शिव के क्रोध और विनाश के प्रतीक हैं। 6. पिंगल - भगवान शिव के पिंगल रूप, जो भगवान शिव के क्रोध और विनाश के प्रतीक हैं।

स्तोत्र का दूसरा श्लोक भगवान शिव के छह वामपंथी रूपों का वर्णन करता है:

7. त्रिपुरासुर - भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया, जो एक राक्षस था जिसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त की थी। 8. त्रिपुरारी - भगवान शिव त्रिपुरारी के रूप में, उन्होंने त्रिपुरासुर का वध किया। 9. महाकाल - भगवान शिव के महाकाल रूप, जो भगवान शिव के समय और मृत्यु के प्रतीक हैं। 10. रुद्र - भगवान शिव के रुद्र रूप, जो भगवान शिव के क्रोध और विनाश के प्रतीक हैं। 11. नीलकंठ - भगवान शिव के नीलकंठ रूप, जिन्होंने विषपान किया था ताकि सभी जीवों को बचाया जा सके। 12. सोमनाथ - भगवान शिव के सोमनाथ रूप, जो भगवान शिव के चंद्रमा के प्रतीक हैं।

द्वादशमूर्तिस्तुति 2 एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के प्रति गहरा प्रेम और भक्ति विकसित करने में मदद करता है।

द्वादशमूर्तिस्तुति 2 के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • यह स्तोत्र भगवान शिव के बारह रूपों की स्तुति करता है।
  • यह स्तोत्र दो श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में छह रूपों का वर्णन है।
  • यह स्तोत्र भगवान शिव के दक्षिणपंथी और वामपंथी रूपों का वर्णन करता है।

द्वादशमूर्तिस्तुति 2 एक बहुत ही महत्वपूर्ण और लोकप्रिय स्तोत्र है। यह स्तोत्र सभी भक्तों के लिए पढ़ने और ध्यान करने के लिए उपयुक्त है।

यहां द्वादशमूर्तिस्तुति 2 का हिंदी अनुवाद दिया गया है:

पहला श्लोक

गणेश, कार्तिकेय, स्कंद, भैरव, वीरभद्र, पिंगल, त्रिपुरासुर, त्रिपुरारी, महाकाल, रुद्र, नीलकंठ, सोमनाथ।

दूसरा श्लोक

त्रिपुरासुर का वध करने वाले, त्रिपुरारी, महाकाल, रुद्र, नीलकंठ, सोमनाथ।

यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के विभिन्न रूपों और उनकी महिमा के बारे में जानने में मदद करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के प्रति गहरा प्रेम और भक्ति विकसित करने में भी मदद करता है।

द्वादशमूर्तिस्तुतिः २ Dwadashmurtistutih 2


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