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  • Create Date October 9, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की पत्नी और धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी, श्रीमती लक्ष्मी की स्तुति करती है। यह स्तोत्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रथा है।

स्तोत्र के अनुसार, श्रीमती लक्ष्मी समस्त सृष्टि की स्वामिनी हैं। वे सभी सुखों और समृद्धि की देवी हैं। वे सभी देवताओं की अधिष्ठात्री देवी भी हैं।

स्तोत्र में, श्रीमती लक्ष्मी को विभिन्न नामों से संबोधित किया जाता है, जो उनकी विभिन्न शक्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उदाहरण के लिए, उन्हें "धनलक्ष्मी" कहा जाता है, जो धन की देवी हैं। उन्हें "पुत्रलक्ष्मी" कहा जाता है, जो पुत्रों की देवी हैं। और उन्हें "ज्ञानलक्ष्मी" कहा जाता है, जो ज्ञान की देवी हैं।

श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो श्रीमती लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए की जा सकती है। यह स्तोत्र धन, समृद्धि, सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति के लिए फायदेमंद है।

स्तोत्र का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम्

अथ श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम्

श्री कृष्ण उवाच

आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि। यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

अर्थ:

हे आदि लक्ष्मी देवी, आपको मेरा प्रणाम है। आप परब्रह्म की स्वरूपिणी हैं। मुझे यश, धन और सभी कामनाएं प्रदान करें।

**संतानक लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि। पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

अर्थ:

हे संतानक लक्ष्मी देवी, आपको मेरा प्रणाम है। आप पुत्र-पौत्र को प्रदान करने वाली हैं। मुझे पुत्र, धन और सभी कामनाएं प्रदान करें।

**विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि। विद्यां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

अर्थ:

हे विद्या लक्ष्मी देवी, आपको मेरा प्रणाम है। आप ब्रह्म विद्या की स्वरूपिणी हैं। मुझे ज्ञान, धन और सभी कामनाएं प्रदान करें।

**धन लक्ष्मी नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि। धनं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

अर्थ:

हे धन लक्ष्मी देवी, आपको मेरा प्रणाम है। आप सभी दरिद्रता को नष्ट करने वाली हैं। मुझे धन, धन और सभी कामनाएं प्रदान करें।

**धान्य लक्ष्मी नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते। धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

अर्थ:

हे धान्य लक्ष्मी देवी, आपको मेरा प्रणाम है। आप सभी आभूषणों से सुशोभित हैं। मुझे अन्न, धन और सभी कामनाएं प्रदान करें।

**मेधा लक्ष्मी नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि। बुद्धिं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

अर्थ:

हे मेधा लक्ष्मी देवी, आपको मेरा प्रणाम है। आप कलियुग की कल्मष को नष्ट करने वाली हैं। मुझे बुद्धि, धन और सभी कामनाएं प्रदान करें।

**सर्व लक्ष्मी नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि। मोक्षं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

अर्थ:

हे सर्व लक्ष्मी देवी, आपको मेरा प्रणाम है। आप भुक्ति और मुक्ति प्रदान करने वाली हैं। मुझे मोक्ष, धन और सभी कामनाएं प्रदान करें।

**आयुरारोग्य संपदा, सर्वकामना पूरय। महात्मा श्रीकृष्णेन, स्तुति लिखितं पुरा।

अर्थ:

हे देवी, मुझे आयु, आरोग्य और समृद्धि प्रदान करें। मेरी सभी मनोकामनाएं पूरी करें। महात्मा श्रीकृष्ण ने इस स्तुति को पूर्व में लिखा था।

**इति श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम् समाप्त


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