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Vinayak Chaturthi

Paush Vinayak Chaturthi 2025 Mein Kab Hai: पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, जिसे विघ्नेश्वर चतुर्थी भी कहा जाता है,। साल 2025 की यह अंतिम Vinayak Chaturthi विनायक चतुर्थी आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन बुधवार का शुभ संयोग बन रहा है,। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की आराधना करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है,।

विनायक चतुर्थी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त: Paush Vinayak Chaturthi 2025 Subh Muhurat..

दृक पंचांग के अनुसार, पौष शुक्ल Vinayak Chaturthi चतुर्थी तिथि की शुरुआत 23 दिसम्बर 2025 को दोपहर 12:12 बजे होगी और इसका समापन 24 दिसम्बर को दोपहर 01:11 बजे होगा,। उदयातिथि के आधार पर, विनायक चतुर्थी का व्रत 24 दिसम्बर 2025, बुधवार को रखा जाएगा,।

पूजा का शुभ मुहूर्त: दोपहर 11:19 बजे से दोपहर 01:11 बजे तक (कुल अवधि: 1 घंटा 52 मिनट),।

उत्तम मुहूर्त: सुबह 11:03 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक।

हर्षण योग: प्रातः काल से शाम 04:02 बजे तक।

बुधवार और विनायक चतुर्थी का विशेष संयोग

इस बार विनायक चतुर्थी बुधवार के दिन पड़ रही है। चूँकि बुधवार का दिन भी भगवान गणेश को समर्पित है, इसलिए इस दिन व्रत और पूजन करने से दोगुना फल प्राप्त होगा। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र का प्रभाव भी रहेगा।

भद्रा और राज पंचक का समय

इस विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) पर भद्रा और पंचक का साया भी रहेगा। भद्रा सुबह 07:11 बजे से दोपहर 01:11 बजे तक रहेगी, जिसका वास पाताल लोक में है,। वहीं, शाम 07:46 बजे से राज पंचक शुरू होगा, जिसे शास्त्रों में अशुभ नहीं माना गया है।

पूजा विधि और सामग्री

विनायक चतुर्थी Vinayak Chaturthi की पूजा दोपहर के समय की जाती है।

1. स्वच्छता: घर की सफाई के बाद गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें।

2. अभिषेक: भगवान गणेश का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक करें।

3. अर्पण: उन्हें पीले वस्त्र, हल्दी और दूर्वा अर्पित करें,।

4. भोग: बप्पा को उनके प्रिय मोदक या लड्डू का भोग लगाएँ।

5. सावधानी: इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना वर्जित माना जाता है।

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गणेश जी के 12 चमत्कारी नाम: Ganesh ji ke 12 chamtkari Name

पूजा के दौरान गणेश जी के इन 12 नामों का जाप करने से सभी दोष दूर होते हैं: सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्नराज (विघ्नविनाशक), धूम्रवर्ण, भालचंद्र, विनायक, गणपति और गजानन।

विनायक चतुर्थी व्रत कथा Vinayak Chaturthi Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा तट पर चौपड़ खेल रहे थे, तब उन्होंने हार-जीत के फैसले के लिए एक मिट्टी का बालक बनाया। Vinayak Chaturthi उस बालक की एक गलती के कारण माता पार्वती ने उसे श्राप दे दिया। बाद में, नाग कन्याओं के बताए अनुसार उस बालक ने 21 दिनों तक गणेश जी का व्रत किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उसे दोषमुक्त किया और उसे पुनः कैलाश जाने की शक्ति प्रदान की,। तभी से मनोकामना पूर्ति के लिए यह व्रत किया जाता है।

विशेष टिप: विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी को दूर्वा चढ़ाना न भूलें, क्योंकि इससे जीवन में शुभता बढ़ती है।

जिस प्रकार एक कुशल मूर्तिकार पत्थर के अनावश्यक हिस्सों को तराश कर उसमें से सुंदर प्रतिमा निकाल लेता है, उसी प्रकार Vinayak Chaturthi विनायक चतुर्थी का व्रत भक्त के जीवन से बाधाओं के ‘अनावश्यक पत्थर’ को हटाकर उसकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।

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