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Maa Kushmanda

Maa Kushmanda:हर साल चैत्र नवरात्रि के नौ पावन दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं. इन दिनों में मां भवानी के विभिन्न रूपों की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन की तमाम बाधाएँ और परेशानियाँ दूर होती हैं. नवरात्रि का चौथा दिन विशेष रूप से मां दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कुष्मांडा को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से व्यक्ति को अपार धन, शौर्य, सुख-समृद्धि, शक्ति और बुद्धि की प्राप्ति होती है, साथ ही सभी रोग, कष्ट और शोक भी समाप्त हो जाते हैं.

Who is Maa Kushmanda:कौन हैं मां कुष्मांडा

भगवती पुराण के अनुसार, देवी कुष्मांडा Maa Kushmanda अष्टभुजाओं वाली हैं. उनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला सुशोभित हैं. वह सिंह की सवारी करती हैं, और उनका यह स्वरूप शक्ति, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है. अपनी मंद और हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण ही इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है. संस्कृत में कूष्मांडा का अर्थ ‘कुम्हड़ा’ होता है, और बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है. देवी कूष्मांडा योग-ध्यान की देवी भी हैं और अन्नपूर्णा का स्वरूप हैं, जो उदराग्नि को शांत करती हैं.

मां कुष्मांडा की पूजा विधि (Maa Kushmanda Puja Vidhi)

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन Maa Kushmanda मां कुष्मांडा की पूजा के लिए इन चरणों का पालन करें:

1. स्नान और साज-सज्जा: सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर की साफ-सफाई तथा साज-सज्जा करें.

2. ध्यान: मां कुष्मांडा का ध्यान करें और कलश की पूजा कर उन्हें नमन करें.

3. आसन: इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है.

4. अर्पण: श्रद्धापूर्वक कुमकुम, मौली (कलावा), अक्षत (चावल), लाल रंग के फूल, फल, पान के पत्ते, केसर और श्रृंगार का सामान मां को अर्पित करें.

5. कुम्हड़ा: यदि संभव हो, तो सफेद कुम्हड़ा या उसके फूल माता रानी को अर्पित करें, क्योंकि कुम्हड़ा मां को बहुत प्रिय है.

6. दुर्गा चालीसा पाठ: इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें.

7. आरती: अंत में घी के दीप या कपूर से मां कुष्मांडा की आरती करें.

8. स्वास्थ्य की कामना: मां कुष्मांडा को जल-पुष्प अर्पित करते हुए निवेदन करें कि उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे. यदि घर में कोई लंबे समय से बीमार है, तो उनके अच्छे स्वास्थ्य की विशेष कामना करें.

9. प्रणाम और प्रसाद वितरण: पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम करें और प्रसाद वितरित करें.

मां कुष्मांडा का भोग (Maa Kushmanda Bhog)

मां कुष्मांडा को कुम्हड़ा (पेठा) सबसे प्रिय है. इसलिए इनकी पूजा में पेठे का भोग लगाना चाहिए. आप पेठे की मिठाई भी मां कुष्मांडा को अर्पित कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त, हलवा, मीठा दही या मालपुए का प्रसाद भी चढ़ाना शुभ माना जाता है. पूजा के बाद इस प्रसाद को स्वयं भी ग्रहण करें और लोगों में भी वितरित करें. मालपुए का भोग लगाकर दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को प्रसाद देने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि और कौशल का विकास होता है, और हर प्रकार का विघ्न दूर होता है.

मां कुष्मांडा के पूजा मंत्र (Maa Kushmanda Puja Mantra)

मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

सरल मंत्र: ‘ॐ कूष्माण्डायै नम:।।’

पूजा मंत्र: ‘सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।’

प्रार्थना मंत्र: ‘सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥’

स्तुति मंत्र: ‘या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥’

    ◦ अर्थ: हे मां! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें.

बीज मंत्र: ‘ऐं ह्री देव्यै नम:’

उपासना मंत्र: ‘वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥’

मां कुष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Aarti)

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥ भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥ तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥ तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥ तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

मां कुष्मांडा पूजा के लाभ (Maa Kushmanda Puja Benefits)

मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं:

सुख-समृद्धि और सुरक्षा: परिवार में सुख-समृद्धि आती है और मां संकटों से रक्षा करती हैं.

इच्छित वर और सौभाग्य: अविवाहित लड़कियों को मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है, और सुहागन स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है.

रोग-शोक से मुक्ति: देवी कुष्मांडा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करती हैं.

आयु, यश, बल और बुद्धि: मां भक्तों को लंबी आयु, यश, बल (ताकत) और बुद्धि प्रदान करती हैं.

इस प्रकार, चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की विधि-विधान से पूजा कर आप उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति ला सकते हैं.

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