
What is Khatu Shyam Nishan Yatra:खाटू बाबा की ख्याति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, उनके बारे में एक नारा प्रचलित है ‘हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा।’ अर्ताथ अगर आप अपने जीवन में हर उम्मीद हार चुके है, तो बाबा खाटू वाले ही आपको सहारा दे सकते है। उनकी कृपा से हारी हुई बाजी भी जीत सकते है।
What is Khatu Shyam Nishan Yatra राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर की काफी मान्यता है। खाटू बाबा के भक्त उन्हें कलयुग का श्री कृष्ण बताते है। What is Khatu Shyam Nishan Yatra खाटू बाबा की ख्याति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, उनके बारे में एक नारा प्रचलित है ‘हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा।’ अर्ताथ अगर आप अपने जीवन में हर उम्मीद हार चुके है, तो बाबा खाटू वाले ही आपको सहारा दे सकते है। उनकी कृपा से हारी हुई बाजी भी जीत सकते है।
खाटू वाले श्याम बाबा के दर्शन करने न सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भक्त पहुंचते है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, महाभारत के दौरान बर्बरीक नाम के योद्धा को श्री कृष्ण ने अपना नाम ‘खाटू श्याम’ दिया था, What is Khatu Shyam Nishan Yatra क्योंकि उसने भगवान द्वारा दी गई दिव्य दृष्टि से पूरा युद्ध दर्शन किया था। shri krishna barbarik श्री कृष्ण ने बर्बरीक से कहा था कि, वह कलयुग में हारे का सहारा बनेंगे और उनके नाम खाटू श्याम से जानें जाएंगे। प्रतिवर्ष खाटू भक्त श्याम बाबा की निशान यात्रा निकालते हैं।
What is Khatu Shyam Nishan Yatra निशान यात्रा
What is Khatu Shyam Nishan Yatra फाल्गुन मेले में निशान यात्रा का भी बहुत बड़ा महत्व है। निशान यात्रा एक तरह की पदयात्रा होती है जिसमे भक्त अपने हाथो में श्री श्याम ध्वज हाथ में उठाकर श्याम बाबा को चढाने खाटू श्याम जी मंदिर तक आते है। इसी श्री श्याम ध्वज को निशान कहा जाता है। मुख्यत यह यात्रा रींगस से खाटू श्याम जी मंदिर तक की जाती है जोकि 18 किमी की यात्रा है।
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर की काफी मान्यता है। खाटू बाबा के भक्त उन्हें कलयुग का श्री कृष्ण बताते है। खाटू बाबा की ख्याति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, उनके बारे में एक नारा प्रचलित है ‘हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा।’ अर्ताथ अगर आप अपने जीवन में हर उम्मीद हार चुके है, तो बाबा खाटू वाले ही आपको सहारा दे सकते है। What is Khatu Shyam Nishan Yatra उनकी कृपा से हारी हुई बाजी भी जीत सकते है।
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खाटू वाले श्याम बाबा के दर्शन करने न सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भक्त पहुंचते है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, महाभारत के दौरान बर्बरीक नाम के योद्धा को श्री कृष्ण ने अपना नाम ‘खाटू श्याम’ दिया था, What is Khatu Shyam Nishan Yatra क्योंकि उसने भगवान द्वारा दी गई दिव्य दृष्टि से पूरा युद्ध दर्शन किया था। श्री कृष्ण ने बर्बरीक से कहा था कि, वह कलयुग में हारे का सहारा बनेंगे और उनके नाम खाटू श्याम से जानें जाएंगे। प्रतिवर्ष खाटू भक्त श्याम बाबा की निशान यात्रा निकालते हैं।
इस यात्रा के अंतर्गत भक्त अपनी श्रद्धा से अपने-अपने घर से भी शुरू करते हैं। What is Khatu Shyam Nishan Yatra ऐसा माना जाता है कि पैदल निशान यात्रा करके श्याम बाबा को निशान चढाने से बाबा शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना को पूर्ण करते हैं।
श्याम बाबा को निशान क्यों चढ़ाते हैं? | श्याम बाबा को निशान अर्पण करने की महिमा: Why do we mark Shyam Baba? , Glory of offering Nishan to Shyam Baba:
सनातन संस्कृति में ध्वज को विजय का प्रतीक माना जाता है। श्री श्याम बाबा के महाबलिदान शीश दान के लिए उन्हें निशान चढ़ाया जाता है। जिसमे उन्होंने धर्म की जीत के लिए दान में अपना शीश ही भगवान श्री कृष्ण को दे दिया था।
निशान का स्वरूप: Format of mark
निशान मुख्यतः केसरी, नीला, सफेद, लाल रंग का झंडा/ध्वज होता है। इन ध्वजाओं पर श्याम बाबा और भगवान श्री कृष्ण के जयकारे और दर्शन के फोटो होते है। कुछ निशानों पर नारियल एवं मोरपंखी भी लगी होती है। इसके सिरे पर एक रस्सी बंधी होती है जिससे यह निशान हवा में लहराता है। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत अनेक भक्त अब सोने-चांदी के भी निशान श्याम बाबा को अर्पित करने लगे हैं।
निशान यात्रा में ध्वज का रंग
(Khatu Nishan Yatra Dhwaj Rang)
खाटू नरेश बाबा श्याम की निशान यात्रा में केसरिया, नीला, सफेद और लाल रंग का ध्वज इस्तेमाल होता है। इन ध्वज पर खाटू श्याम और भगवान श्री कृष्ण का चित्र बना होता है। साथ ही कई पताकाओं पर बाबा के जयकारे लिखे होते हैं और कई पर नारियल और मोरपंखी लगे होते है।