जो महिलाएं पहली बार वट सावित्री का व्रत रखने जा रही हैं, उन्हें पूजा मुहूर्त, पूजा विधि के बारे में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. क्योंकि वट सावित्री का व्रत अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु का वरदान पाने के लिए किया जाता है. हर साल ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री व्रत किया जाता है. इस साल यह 30 मई दिन सोमवार को पड़ रहा है.
ज्योतिषाचार्य रामदेव मिश्रा शास्त्री जी ने बताया
30 मई दिन सोमवार को सोमवती अमावस्या भी पड़ रही है. इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी. प्रातः काल से ही सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग भी है. ऐसे शुभ संयोग में वट सावित्री का व्रत अत्यंत फलदायक सिद्ध होगा.
- अमावस्या तिथि का प्रारंभ 29 मई दिन रविवार को दोपहर 2:54 से होगा.
- अमावस्या तिथि का समापन 30 मई दिन सोमवार को सायंकाल 3:40 पर होगा.
- वटसावित्री व्रत 30 मई 2022 सोमवार को रखा जाएगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने और रक्षा सूत्र बांधने से पति की आयु लंबी होता है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। क्योंकि इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवता वास करते हैं। इसलिए वृक्ष की पूजा करने से सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री सूची
वट सावित्री की पूजा में लगने वाली प्रमुख सामग्रियां इस प्रकार है। इसमें सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, कच्चा सूता, बांस का पंखा, लाल कलावा, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, घी, बरगद का फल, मौसमी फल जैसे आम ,लीची और अन्य फल, रोली, बताशे, फूल, इत्र, सुपारी, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, धुर्वा घास, अक्षत, सिंदूर, सुहाग का समान, नगद रुपए और घर पर बने पकवान जैसे पूड़ियां, मालपुए और मिष्ठान जैसी सामग्रियां व्रत सावनत्री पूजा के लिए जरूरी होती हैं।
वट सावित्री पूजा विधि
वट सावित्री के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नान आदि करने के बाद नए कपड़े पहने और पूरे सोलह सिंगार कर तैयार हो जाएं। इसके बाद पूजा की सभी सामग्रियों को किसी थाली या टोकरी में सजाकर बरगद के पेड़ के पास जाएं। क्योंकि वट सावित्री की पूजा वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ पर ही की जाती है। पेड़ के नीचे सावित्री और सत्यवान की तस्वीर रखें। तस्वीर पर रोली, अक्षत, भीगे चने, कलावा, फूल, फल, सुपारी, पान, मिष्ठान आदि अर्पित करें। इसके बाद बांस के पंखे से हवा करें। कच्चा सूता वट वृक्ष पर बांधते हुए 5,7 या 11 बार परिक्रमा करें। इसके बाद सभी सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष के पास बैठकर वट सावित्री व्रत की कथा सुने या पढ़ें। पूजा समाप्त होने के बाद हाथ जोड़कर पति की दीर्घायु की कामना करें। सात भीगे चने और बरगद की कोपल को पानी के साथ निगलकर अपना व्रत खोलें।