Varaha Dwadashi 2025

Varaha Dwadashi 2025:वराह जयंती 2025 एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जिसे भारत में उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। वराह जयंती, जिसे वराह द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु के तीसरे और बहुत महत्वपूर्ण अवतार का सम्मान और उत्सव मनाती है। भगवान वराह/ भगवान वराह भगवान विष्णु के अवतार का नाम था जो दुनिया को बचाने के लिए सतयुग में आए थे। Varaha Dwadashi 2025 भगवान विष्णु का रूप आधा वराह (सूअर) और आधा मानव था। जिस तरह Varaha Dwadashi 2025 भगवान विष्णु के अन्य अवतारों को अलग-अलग त्योहारों के माध्यम से मनाया जाता है, उसी तरह भगवान वराह को हर साल वराह जयंती के रूप में बड़ी ऊर्जा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

Varaha Dwadashi:वराह द्वादशी: भगवान वराह का शुभ पर्व

वराह द्वादशी Varaha Dwadashi हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ एवं पावन पर्व माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है, जो उन्होंने पृथ्वी को राक्षस हिरण्याक्ष के चंगुल से मुक्त करने के लिए धारण किया था। Varaha Dwadashi 2025 यह पर्व द्वादशी तिथि को मनाया जाता है और भक्तों के लिए यह दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति का उत्तम अवसर होता है।

Varaha Dwadashi 2025

Varaha Dwadashi वराह अवतार की कथा

पुराणों के अनुसार, जब हिरण्याक्ष नामक असुर ने पृथ्वी को पाताल लोक में अपहृत कर लिया, तब भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण किया। उन्होंने एक विशाल जंगली सूअर का स्वरूप लिया और अपनी दिव्य शक्ति से हिरण्याक्ष का वध किया। भगवान वराह ने अपने दाँतों पर पृथ्वी को उठाकर पुनः संतुलित किया और उसे समुद्र में स्थापित किया। इस घटना के प्रतीक रूप में वराह द्वादशी मनाई जाती है।

वराह द्वादशी का महत्व

शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन व्रत एवं भगवान वराह की पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और वह सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और दान का विशेष महत्व होता है।

Varaha Dwadashi puja vidhi:पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान विष्णु और वराह अवतार की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  3. तुलसी पत्र, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  4. वराह अवतार की कथा का पाठ करें।
  5. जरूरतमंदों को भोजन एवं वस्त्र दान करें।

उपसंहार

Varaha Dwadashi 2025 वराह द्वादशी पर व्रत और पूजा करने से जीवन में शांति, धन-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह पर्व भक्तों को यह संदेश देता है कि अधर्म कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, भगवान सदैव धर्म की रक्षा के लिए उपस्थित रहते हैं।

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